साईंस कॉलेज मैदान में क्षेत्रीय सरस मेला का शुभारंभ
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा और बहनों को रोजगार मिलेगा। गांव में निर्मित वस्तुओं की पूरे देश भर में बिक्री होगी और स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित खाद्य सामग्रियों का आनंद ग्राहकों को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल कल रात राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में क्षेत्रीय सरस मेले का शुभारंभ किया । ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और जिला पंचायत रायपुर द्वारा आगामी 5 फरवरी तक चलने वाले इस आठ दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है।
मेले में महिला स्व सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्रियों का विक्रय सह प्रदर्शन किया गया है। नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, रायपुर नगर पश्चिम के विधायक श्री विकास उपाध्याय और जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्ष श्रीमती शारदा वर्मा कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थी।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी को बचाने के लिए महिला स्व सहायता समूहों की बहनों से सहयोग का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि गौ पालन हमारी परंपरागत ग्रामीण व्यवस्था का अभिन्न अंग रहा है। गौ पालन को घरेलू कार्य माना जाता था और बेटियां दूध दुहने का काम करती थी इसीलिए बेटियों को दुहिता भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि रायपुर जिले के धनेली गांव में गोठान और चारागाह को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां पशुओं के लिए पेयजल और सेड की व्यवस्था की जाएगी। निकट भविष्य में यह केंद्र दूध कलेक्शन और विक्रय के केंद्र के रूप में विकसित होंगे। इसी तरह प्रदेश के सभी गांवों का विकास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा में जनता को संबोधित करते हुए आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के बीजापुर से लेकर सरगुजा तक की बहनें भागीदारी कर रही हैं इसके साथ ही साथ महाराष्ट,ª ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड की महिला स्व सहायता समूह और अन्य उद्यमियों ने भी प्रदर्शनी में हिस्सा लिया है। श्री बघेल ने इसके पहले प्रदर्शनी के विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन कर महिलाओं का उत्साहवर्धन किया। रायगढ़ जिले के एकताल ग्राम की श्रीमती पदमा बाई अझारा के स्टॉल में जाकर मुख्यमंत्री ने बेलमेटल से निर्मित तुरही सहित विभिन्न कलाकृतियों का अवलोकन किया। श्री बघेल ने तुरही को बजाकर भी देखा। शंख ध्वनि करने वाले इस वाद्य यंत्र का उपयोग छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में मंदिरों और मड़ाई मेलों में लोक संगीत और नृत्य के दौरान किया जाता है। मुख्यमंत्री ने समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित खाद्य सामग्रियों का भी स्वाद लिया।
नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ शिव कुमार डेहरिया ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो और गढ़वो नवा छत्तीसगढ़ में सहभागी बने। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न विभागों में जेम पोर्टल की जगह विभिन्न वस्तुओं की खरीददारी छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम सीएसआईडीसी के माध्यम से की जाएगी इससे कुटीर उद्योगों को भी लाभ होगा ।
कलेक्टर डॉ. बसवराजु ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित महिला स्व सहायता समूहों द्वारा हेन्डलूम, वेलमेटल बैम्बू क्राफ्ट, कोसा साड़ी, शूट, मेटल्स, लकड़ी के खिलौने, बुडन क्राफ्ट, आचार, पापड़, बड़ी, जैविक खाद सहित अन्य उत्पादों का विक्रय सह प्रदर्शन किया जा रहा है। मेला में प्रतिदिन शाम 5 बजे से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री दीपक सोनी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बिहान मिशन 25-25 संचालित किया जा रहा है। जिले में 2 हजार 186 महिला स्व सहायता समूह लिंकेज किए गए है। रायपुर जिले में 2 हजार 383 संस्थाओं से संपर्क कर 2 हजार 397 कार्यादेश प्राप्त किए गए है और अभी तक करीब 5 करोड़ 5 लाख रूपए के कार्य समूहों द्वारा प्राप्त किए गए है। जिले में बिहान महिला समूहों द्वारा फ्लाई ऐश ईंट, पेवर ब्लाक सहित विभिन्न उत्पादों का कुशलतापूर्वक निर्माण किया जा रहा है।