नई दिल्ली : भारत में लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करने और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से सोमवार को देश के पहले सड़क सुरक्षा माह का उद्घाटन किया गया। पिछले कुछ वर्षों से लगातार सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा था, लेकिन मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, इस साल जागरूकता अभियान का आयोजन महीनेभर तक करने की योजना बनाई गई है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गटकरी ने उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वीके सिंह और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत भी मौजूद थे।
इस दौरान अमृतसर से कन्याकुमारी तक एक राष्ट्रीय चैम्पियनशिप “सेफ स्पीड चैलेंज” को हरी झंडी दिखाने और सड़क सुरक्षा के लिए पुरस्कार प्रदान करने के अलावा, सड़क सुरक्षा पर एक फिल्म भी लॉन्च की गई। राज्य सरकारों, पीएसयू और बीमा कंपनियों ने भी विभिन्न गतिविधियों, सेमिनार, वॉकाथॉन और पोस्टर बनाओ प्रतियोगिता के जरिए इस जागरूरता अभियान में भाग लिया।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सड़क सुरक्षा में सड़क जागरूकता भी शामिल है। देशभर में सड़क हादसों के कारणों और उन्हें रोकने के बारे में चालकों के साथ-साथ राहगीरों को भी अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में होने वाली क्षति केवल एक परिवार को दुःख नहीं देती, बल्कि देश के संसाधनों के लिए भी यह एक बड़ा नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा जागरूरता को जन-जन तक पहुँचाकर हम जीडीपी को हेने वाले करीब 3 फीसदी नुकसान को बचा सकते हैं।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं को बधाई दी। इनमें सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाला राज्य, मुसीबत में मदद करने वाले व्यक्ति के लिए पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ राज्य परिवहन निगम, सुरक्षित राजमार्ग निर्माण में श्रेष्ठ काम करने वाले के लिए पुरस्कार, असाधारण काम करने वाला फील्ड अधिकारी और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ काम करने वाला एनजीओ जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं। जिन्हें आज पुरस्कार नहीं मिला, ऐसे सभी संगठनों और हितधारकों का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के सड़क सुरक्षा अभियान में इनका योगदान और मेहनत भी सराहनीय है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
श्री गडकरी ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घना में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत होती है, जबकि 4.5 लाख लोग घायल होते हैं। आप ये जानकर हैरान होंगे कि इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों से हमारे देश को जीडीपी के 3.14 फीसदी के बराबर सामाजिक-आर्थिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 70 फीसदी लोग 18-45 वर्ष के आयु वर्ग में आते हैं, अर्थात् भारत में प्रतिदिन इस आयु वर्ग के 415 लोगों की मौत होती है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों और क्षति को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न प्रयासों, नीतिगत सुधारों और सुरक्षित प्रणाली को अपनाकर वर्ष 2030 तक भारतीय सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं को शून्य करने की दिशा में सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार ‘जन-भागीदारी’ और ‘जन-सहभाग’ जैसे जन आंदोलन के माध्यम से ही कामयाब हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस ‘जन-सहभाग’ को सफल बनाने के लिए सरकारों को केन्द्रीय, राज्य और नगर निकायों के स्तर पर एक सकारात्मक सहयोगी की भूमिका निभानी चाहिए।
श्री गडकरी ने सुझाव दिया कि सभी सांसदों, विधायकों और अन्य जन प्रतिनिधियों को जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति के माध्यम से एक मंच प्रदान करना चाहिए और अपने चुनावी क्षेत्र में सड़क सुरक्षा को मिशन मोड में आगे बढ़ाने के लिए पुलिस, डॉक्टर्स, पैरामेडिकल पेशेवर, एनजीओ, विद्यार्थी और अन्य लोगों को इसमें शामिल करना चाहिए।उन्होंने बताया कि इस सड़क सुरक्षा माह के दौरान राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों, एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल, ओईएम और एनजीओ के सहयोग से देशभर में व्यापक स्तर पर विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करने के लिए पहले ही योजना बना ली गई है। मंत्री ने बताया कि सड़क सुरक्षा के 4ई के पुनर्गठन और उसे मज़बूत करने सड़क सुरक्षा को कम करने दी दिशा में विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। ये 4ई हैं- इंजीनियरिंग, एजुकेशन, इंफोर्समेंट और इमरजेंसी केयर सर्विस।
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वीके सिंह ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल महीनेभर चलने वाला कार्यक्रम नहीं है, बल्कि जीवनभर जारी रहने वाला कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि सड़क पर प्रत्येक व्यक्ति को खुद वाहन चलाते समय और दूसरे वाहनों के चालकों से भी सतर्क रहना होगा। उन्होंने सड़क सुरक्षा के महत्व के बारे में सभी को जागरूक करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसे माहौल को पैदा करने की ज़रूरत है, जहाँ लोग केवल अपनी जान की परवाह नहीं, बल्कि दूसरों की जान की परवाह भी करें।
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने सड़क सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में देश के मानकों को वैश्विक स्तर पर ले जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रौद्योगिकी को निगरानी व्यवस्था के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।