नई दिल्ली : सीमा शुल्क ढांचे को व्यवस्थित करने, अनुपालन आसान बनाने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केन्द्रीय बजट 2021-22 कई अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव किए गए हैं। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में केन्द्रीय बजट, 2021-22 प्रस्तुत किया।
बजट भाषण में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बीते कुछ महीनों में जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हुआ है। जीएसटी को सरल बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। जीएसटीएन प्रणाली की क्षमता बढ़ाने का ऐलान किया गया है। विशेष अभियान के तहत वंचकों और जाली बिल निर्माताओँ की पहचान करने के लिए गहरा विश्लेषण और कृत्रिम इटेंलीजेंस का उपयोग किया गया है। वित्त मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि जीएसटी को सुचारू बनाने तथा प्रतिलोमी शुल्क संरचना जैसी विसंगतियों को दूर करने के लिए सभी संभव उपाय किए जाएंगे।
सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाना
सीमा शुल्क नीति पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस नीति के दो उद्देश्य होने चाहिए पहला घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और दूसरा भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होने देना तथा अधिक निर्यात करने में मदद करना। इस पर उन्होंने 400 से अधिक पुरानी रियायतों की समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया। साथ ही व्यापक परामर्श कर 01 अक्तूबर, 2021 से विकृतियों से मुक्त संशोधित सीमा शुल्क संरचना स्थापित करने की बात की। साथ ही उन्होंने सीमा-शुल्क में कोई नई रियायत इसके जारी होने की तारीख से दो वर्षों के बाद 31 मार्च तक वैध होने की घोषणा की।
इलेक्ट्रॉनिक एवं मोबाइल फोन उद्योग
वित्त मंत्री ने चार्जरों के कलपुर्जों और मोबाइल के सब-पार्ट्स से कुछ रियायतें वापस लेने की घोषणा की। इसके अलावा, मोबाइल के कुछ कल-पुरजे ‘शून्य’ दर से साधारण 2.5 प्रतिशत में चले जाएंगे। उन्होंने गैर-मिश्र धातु, मिश्र धातु और स्टेनलैस स्टील के अर्ध, एकसमान तथा लम्बे उत्पादों पर सीमा शुल्क एकसमान रूप से 7.5 प्रतिशत तक के सीमा शुल्क कम करने की घोषणा की। धातु का पुनर्चक्रण करने वाले अधिकांश एमएसएमई को राहत देने के लिए स्टील स्क्रैप पर शुल्क 31 मार्च, 2022 तक की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया। इसके अतिरिक्त कुछ स्टील उत्पादों पर एडीडी और सीवीडी का भी प्रतिसंहरण किया गया। इसके साथ ही उन्होंने तांबा, पुनर्चक्रकों को राहत प्रदान करने के लिए तांबा स्क्रैप पर शुल्क 5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया गया है।
वस्त्र / रसायन / सोना एवं चांदी
हस्त निर्मित वस्तु में कच्चे माल की निविष्टियों पर शुल्क को युक्तिसंगत बनाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए वित्त मंत्री ने नायलन चेन को पॉलीस्टर और मानव निर्मित अन्य रेशे के बराबर लाने की घोषणा की। साथ ही कैप्रोलैक्टम, नायलन चिप्स, नायलन फाइबर तथा उसके धागे पर बीसीडी दरों को एकसमान रूप से घटाकर 5 प्रतिशत करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इससे वस्त्र उद्योग, एमएसएमई तथा निर्यात में मदद मिलेगी। उसके साथ ही उऩ्होंने रसायनों पर सीमा शुल्क दरों को अंश शोधित किया है ताकि घरेलू मूल्यवर्धन को प्रोत्साहन मिले और प्रतिलोमनों को हटाया जा सके। इसके साथ उन्होंने सोना और चांदी पर सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाए जाने का ऐलान किया है।
नवीकरणीय ऊर्जा
वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू क्षमता तैयार करने के लिए सोलर सेल और सोलर पैनलों को चरणबद्ध विनिर्माण योजना के द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि वर्तमान में घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सोलर इनवर्टनरों पर शुल्क को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और सोलर लालटेन पर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाएगा।
पूंजीगत उपस्कर
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि घरेलू रूप से विनिर्माण करने की आपार संभावना है। उन्होंने कहा कि हम दर संरचना की यथा समय विस्तार से समीक्षा करेंगे। हालांकि कुछ मदों पर शुल्क दरों में तुरंत संशोधन किया जा रहा है। टनल बोरिंग मशीन पर छूट वापस लेने का प्रस्ताव भी सदन के समक्ष रखा इसमें 7.5 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा और इसके पुर्जों पर 2.5 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा। उन्होंने कुछ ऑटो पार्ट्स पर सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का ऐलान किया जिससे इन ऑटो पार्ट्स को सामान्य दर के बराबर लाया जा सके।
एमएसएमई उत्पाद
बजट में एमएसएमई को लाभांवित करने के लिए कुछ बदलाव लाने का प्रस्ताव रखा गया जिसमें स्टील स्क्रू, प्लास्टिक बिल्डर वेयर पर शुल्क को 15 प्रतिशत करने का ऐलान किया गया। साथ ही परिधान, चमड़ा और हस्तशिल्प के निर्यातकों को प्रोस्ताहित करने के लिए शुल्क मुक्त वस्तुओँ के निर्माण पर छूट युक्तिसंगत बनाए जाने का ऐलान किया गया। कुछ विशेष प्रकार के चमड़े के आयात पर छूट को वापस लेने की भी घोषणा की गई। क्योंकि उनका अधिकांशः एमएसएमई बहुतायत मात्रा एवं गुणवत्ता में उत्पादन किया जाता है ताकि उनके घरेलू प्रसंस्करण को प्रोत्साहित किया जा सके।
कृषि उत्पाद
कृषकों को लाभ पहुंचाने के लिए कपास पर सीमा शुल्क को बढ़ाकर 10 प्रतिशत और कच्चा रेशम और रेशम सूत पर बढ़ाकर 15 प्रतिशत किए जाने का ऐलान किया।
कृषिगत अवसंरचना और विकास उपकर
वित्त मंत्री ने थोड़ी संख्या में वस्तुओं पर कृषिगत अवसंरचना और विकास उपकर (एआईडीसी) का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि यह उपकर लगाते समय हमने यह ध्यान रखा है कि अधिकांश के संबंध में उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त भार न पड़े। एआईडीसी के तहत शुल्क के अंतर्गत सोना, चांदी, अल्कोहल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी का तेल, सेब, कोयला, लिगनाइट, खाद, काबूली चना और कपास शामिल है जिससे ग्राहकों पर इन वस्तुओं पर कोई अतिरिक्त भार न पड़े।
उत्पाद शुल्क के मामले में, पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर एआईडीसी लगाया गया है। हालांकि, बजट में पेट्रोल और डीजल पर प्राथमिक उत्पाद शुल्क (बीईडी) और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) दरों में कटौती कर दी गई है, जिससे उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। बगैर ब्रांड के पेट्रोल और डीजल पर क्रमशः 1.4 रुपये और 1.8 रुपये प्रति लीटर बीईडी लगेगा, वहीं एसएईडी क्रमशः 11 रुपये और 8 रुपये प्रति लीटर लगेगा।
प्रक्रियों में सुधार और अनुपालन आसान बनाने के संबंध में वित्त मंत्री ने एडीडी और सीवीडी लेवी से संबंधित प्रावधानों में कुछ बदलाव किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा शुल्क जांच पूरी करने के लिए निश्चित समयसीमा सुझाई जा रही है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 2020 में पेश की गई तुरंत कस्टम पहल से एफटीए के दुरुपयोग पर रोक लगाने में मदद मिली है।