नई दिल्ली : केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषद् की 54वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान बैठक में केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय शमराओ धोतरे और उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे भी उपस्थित थे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में भी अपने संस्थानों में अकादमिक गतिविधियों को सफलतापूर्वक सुचारू रूप से जारी रखने और कोविड 19 से निपटने की दिशा में नए वैज्ञानिक शोध के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सभी आईआईटी के प्रमुखों और अध्यक्षों (बीओजी) को बधाई दी। उन्होंने सभी आईआईटी को प्रोत्साहित करते हुए उनसे आग्रह किया कि वे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार की दिशा में एक प्रेरणास्रोत बनें।
श्री पोखरियाल ने आईआईटी प्रमखों से कहा कि वे आईआईटी और उद्योगों के बीच फैकल्टी और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020के अनुरूप राष्ट्रीय विकास योजना विकसित करें। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी संस्थानों और उद्योगों के बीच फैकल्टी सदस्यों और उद्योग विशेषज्ञों के आदान-प्रदान से उद्योग और अकादमिक जगत के बीच सहयोग बढ़ेगा। इससे पहले आईआईटी में फैकल्टी की भर्ती (इंडस्ट्री इंटरेक्शन एंड मोबिलिटी ऑफ फैकल्टी) के बारे में सुझाव देने के लिए आईआईटी परिषद् की स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया था।
इसके साथ ही, केन्द्रीय मंत्री ने सभी आईआईटी से आग्रह किया कि वे स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर ‘एक आईआईटी- एक प्रमुख कार्य क्षेत्र’ वाले दृषिटकोण को अपनाकर आगे बढ़ें।
बैठक के दौरान ब्लॉकचैन, एआई, एमएल और क्लाउड कंप्युटिंग के माध्यम से सभी आईआईटी में डिजिटल परिवर्तन लाने पर भी चर्चा की गई। इस दौरान सभी आईआईटी में प्रौद्योगिकी के उपयोग की समीक्षा करने और आईआईटी में डिजिटल उपकरणों को स्थापित करने के काम को गति देने के लिए एक कार्यबल (टास्कफोर्स) का गठन करने की अनुशंसा की गई। इस दौरान आईआईटी की ज़रूरत के हिसाब से कर्मचारियों की संख्याकी समीक्षा करने की अनुशंसा भी की गई।
आईआईटी परिषद की स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) से संबंधित निम्नलिखित मुद्दों पर विचार-विर्मश के लिए चार कार्य दलों (वर्किंग ग्रुप्स) का गठन किया गयाः
समूह- 1: श्रेणीबद्ध स्वायत्ता, सशक्त और जवाबदेह बीओजी और निदेशक
समूह- 2:आईआईटी के निदेशक पद के लिए प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को तैयार करनाअकादमिक सीनेट का सुधार और पुनर्गठन
समूह- 3:अकादमिक सीनेट का सुधार और पुनर्गठन
समूह- 4:नए फंडिग तंत्र (इनोवेटिव फंडिंग मैकेनिज़्म)
इन सभी समूहों और फैकल्टी विकास पर काम करने वाले एक अन्य समूह की रिपोर्ट को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली एक बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
परिषद् की बैठक में ऑनलाइन आईआईटी आरएंडी (अनुसंधान एवं विकास) मेले का आयोजन करने पर भी विचार किया गया, ताकि देशभर में आईआईटी द्वारा किए जा रहे गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों का प्रदर्शन उद्योग जगत के समक्ष किया जा सके। वर्तमान कोविड महामारी की चुनौतीपूर्ण स्थिति के सामान्य हो जाने के बाद आगामी समय में मेलों का आयोजन नियमित तरीके से लोगों की भौतिक उपस्थिति के साथ किया जा सकता है।
श्री पोखरियाल ने सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मद्रास, दिल्ली, खड़गपुर और बॉम्बे स्थित चार आईआईटी के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए फंड को मंज़ूरी दी जा चुकी है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास पर फोकस करने के साथ-साथ शिक्षा संबंधी सभी विषयों के समग्र विकास के लिए आईआईटी को बहु-अनुशासनात्मक संस्थान बनाने की बात कही। उन्होंने आईआईटी से आह्वान किया कि वे वर्तमान में घोषित की गई राष्ट्रीय शोध संस्थान (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) योजना का लाभ उठाएँ। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की आज़ादी के 75वें वर्ष अर्थात् 2022 तक आईआईटी वैश्विक रैंकिंग में स्थान हासिल करने का प्रयास करेंगे।उन्होंने आईआईटी को वित्त, प्रशासनिक मार्गदर्शन और सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों से संबंधित मुद्दों के बारे में संभव मदद और समर्थन मुहैया कराने का आश्वासन दिया।