( संबोधन साहित्य एवं संस्कृति विभाग का आयोजन)
मनेंद्रगढ़ – जाते हुए बसंत को विदाई और आते हुए फागुन का स्वागत करने संबोधन साहित्य में कला विकास संस्थान मनेंद्रगढ़, द्वारा काव्य संध्या का आयोजन किया गया. विजय नर्सरी विद्यालय प्रांगण में 28 जनवरी सायं 5:00 बजे से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य रचनात्मक प्रतिभा को शब्द और स्वर देने का प्रयास था. संस्था संरक्षक श्रीमती इंदिरा सेंगर, सांवलिया प्रसाद सर्राफ, एवं संस्था अध्यक्ष श्री विनोद तिवारी द्वारा मां सरस्वती की धूप दीप से अर्चना के पश्चात वसंत के स्वागत के लिए कलाकार नरोत्तम शर्मा ने प्राकृतिक रंग बिखेरने की कोशिश में गीत #तोहरे ताल मिले नदी के जल में# प्रस्तुत किया.
और श्रोताओं की ढेर तालियां बटोरी.
अपने उद्देश्य के अनुरूप अपनी कविताओं और गजलों की प्रस्तुति में नए रचनाकार आयुष जायसवाल एवं आशीष जैन की पंक्ति जुबां यदि तलवार है तो उसे म्यान में रखिए ने भविष्य के प्रति आशान्वित किया. इसी क्रम मे नवोदित रचनाकार डॉ. रश्मि सोनकर ने मंच पर अपनी छत्तीसगढ़ी रचना मोर छत्तीसगढ़ के माटी महान के द्वारा चर्चा में रही. आंचलिक रचनाकारों में बड़ी तेजी से अपनी पहचान बनाने वाले कवि गौरव अग्रवाल के नए तेवर की कविता राम ने रावण को नहीं मारा रावण को मारा कर्मों ने श्रोताओं को चिंतन के लिए बाध्य कर दिया. वरिष्ठ कवि एवं व्यंग्यकार जगदीश पाठक की जनगणना शादी की तैयारियों ने श्रोताओं को गुदगुदाया एवं रोजमर्रा की जिंदगी की बानगी प्रस्तुत की कविता कहानी और नाट्य पुस्तकों के लेखक गंगा प्रसाद मिश्र ने बासंती गीत आज धरती ने किया श्रृंगार आई रितु बसंती
कार्यक्रम संचालक बीरेंद्र श्रीवास्तव के गीत *लाल टेशू हुए हर रंग एक डाल पर, तोता मैना ने गाना
कार्यक्रम संचालक बीरेंद्र श्रीवास्तव के गीत *लाल टेशू हुए हर रंगे डाल पर, तोता मैना ने गाना शुरू कर दिया.* पंक्तियों पर श्रोता झूम उठे. महिला रचनाकारों में बहुत ही महीन भावनाओं को शब्द प्रदान करने वाली रचनाकार श्रीमती अनामिका चक्रवर्ती की रचनाओं को बहुत वाहवाही मिली, वहीं पत्र-पत्रिकाओं में चर्चित एवं सम्मानित रचनाकार श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव की रचनाएं सुर्ख़ियों में रही. गायक, कवि, कथाकार एवं छायाकार वेद प्रकाश पांडे ने अपनी गीत तेरे पायल की झनकार अरे रे बाबा ना बाबा प्रस्तुति के माध्यम से श्रोताओं को नई बसंती प्रेरणा से भर दिया. बसंत एवं फागुन के गीतों एवं कविताओं से ओतप्रोत इस आयोजन के विशिष्ट रचनाकार सांवलिया प्रसाद सर्राफ के गीत डारन डारन लद गए फुलवा, छाई बसंत बहार रे ने कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर खड़ा कर दिया. संबोधन साहित्य विभाग के विभागाध्यक्ष नागेंद्र जायसवाल ने अपनी रचना प्रस्तुति से लोगों का मन जीत लिया . कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने वाले रचनाकारों में विनोद तिवारी के व्यंग प्रमोद अग्रवाल के गीत नारायण तिवारी के व्यंग विजय गुप्ता एवं मृत्युंजय सोनी, पुष्कर तिवारी के साथ-साथ वरिष्ठ साहित्यकार सतीश उपाध्याय की काव्य प्रस्तुति ने मंच को बासंती रंगों से सराबोर कर दिया. वही साहित्य सुधी संजय सेंगर, हारून मेमन, निरंजन मित्तल, नरेंद्र श्रीवास्तव, हरी तिवारी जी सहित राजेश मिश्रा की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऊंचाइयों प्रदान की.