मनेंद्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाले छह वन परिक्षेत्रों में अधिकांश में डिप्टी रेंजरों को रेंजर पद पर तैनात करना संदेह का विषय

कोरिया! जिले के मनेंद्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाले छह वन परिक्षेत्रों में अधिकांश में डिप्टी रेंजरों को रेंजर पद पर तैनात किया गया है । जो कही न कही बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। प्रभारी रेंजरों की करामात ऐसी है जैसे दूध में से मलाई छानी जाती है ऐसा इस लिए क्योकि इनके द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यो की गुणवत्ता बद से बत्तर नजर आती है । शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नही होती जिससे मिलीभगत की भी आशंका व्याप्त है। वन परिक्षेत्रों में नन्हे पौधों को सहारा व सुरक्षित पालन पोषण के लिए बांस से बने टी गार्डो का उपयोग विभागीय तौर पर किया गया है। जिसकी स्थित आज इस कदर हो चुकी की अब बांस से बनाए गए टीगार्डो को खुद सहारे की जरूरत पड़ने लगी है। जहाँ पर भी दी टीगार्डो में नजर जाती है वहाँ टूटे, उधड़े,और लुढ़के बांस से बने टिगार्ड(ढोले)दिखाई देंगे,जिसे देख कर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बांस के गोल गोल ढ़ोलो में गुणवत्ता को ताक पर रखते हुए गोल मोल किया गया है दूसरी और विभागीय गैबीयन निर्माण में जंगल के बोल्डरों का उपयोग भी जम कर किया गया है सूत्रों की माने तो इसके निर्माण कार्य मे जंगल में पड़े पत्थरो को बिनवा कर उपयोग में लाना था लेकिन बिनवाने की जहमत प्रभारियों ने न उठाते हुए जंगल के बड़े बड़े चट्टानों को तोड़वा दिया और उसका उपयोग गैबियन बनाने में किया जिससे वन संपदा को दिन व दिन नुकसान खुद विभाग पहुचाने में लगा हुआ है ।पूर्व की बात की जाए तो बोल्डर चेक डेम या गैबीयन निर्माण के लिए बोल्डर खरीदी ट्रांसपोर्टिंग चार्ज कुल मिला कर मटेरियल के लिए अलग से राशि स्वीकृत होती रही है। लेकिन विभागीय मिली भगत से जैसे तैसे जंगल के मटेरियल का उपयोग कर निर्माण कार्य के लिए मटेरियल की स्वीकृत राशि का बंदरबांट सुर्खियों में ही रहा है । मजदूरी भुगतान की बात की जाए तो विभाग मजदूरों के हक को भी चट करने में पिच्छे नही रहा है शासन से प्राप्त मजदूरी भुगतान में भी गोल माल किया जाता रहा है । आखिर जिम्मेदार कब तक सुधरेंगे और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे ये समझ से परे है ।

बूढ़े कंधों पर जंगल की सुरक्षा ! सभी रेंजर 50 साल पार।

मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के जंगलों की सुरक्षा बूढ़े कंधों पर है. जंगलों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले रेंजर (वन परिक्षेत्राधिकारी) अब रिटायरमेंट के कगार पर हैं. अधिकांश रिटायर भी कर गये. जो कार्यरत हैं वे सभी 50 साल की उम्र सीमा पार कर गये हैं अपको बता दें कि वन मंडल मनेन्द्रगढ अंतर्गत छः परिक्षेत्रों में कार्यरत रेंजर लगभग – लगभग 50 वर्ष पूर्ण हैं जिसमें हाई प्रोफाइल एवं चर्चित मनेन्द्रगढ़ परिक्षेत्राधिकारी हीरालाल सेन 59 वर्ष, बिहारपुर परिक्षेत्राधिकारी रामलोचन द्विवेदी 61 वर्ष, केल्हारी परिक्षेत्राधिकारी रामसागर कुर्रे 58 वर्ष, जनकपुर परिक्षेत्राधिकारी चंद्रमणि तिवारी 57 वर्ष, बहरासी परिक्षेत्राधिकारी इंद्रभान पटेल 53 वर्ष, कुंवारपुर परिक्षेत्राधिकारी रामसागर गुप्ता 52 वर्ष।