क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में पहला हाईपेक ट्रीटमेंट,ओवेरियन कैंसर से पीड़ित 45 वर्षीय महिला का हुआ सफल उपचार

रायपुर. 10 जून 2021.  पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय-डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के डॉक्टरों ने गुरूवार को ओवेरियन कैंसर से जूझ रही 45 वर्षीय महिला का उपचार हाईपेक ( Hyperthermic intraperitoneal chemotherapy (HIPEC)) तकनीक से कर महिला को नया जीवन दिया है। लगभग सात से आठ घंटे तक कैंसर सर्जरी ऑपरेशन थियेटर में चले इस उपचार प्रक्रिया में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के डॉक्टरों ने मरीज के कैंसरग्रस्त गांठों को नष्ट करने के लिये पहली बार हाइपेक तकनीक का प्रयोग किया। हाइपेक प्रक्रिया कैंसर सर्जरी के साथ की जाती है जिसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च तापमान के साथ कीमोथेरेपी दवाओं का उपयोग शामिल है । प्रदेश के प्रथम शासकीय कैंसर संस्थान में इस तरह के उन्नत तकनीक से हुए उपचार ने कैंसर मरीजों के मन में आशा एवं उम्मीद की नई किरण का संचार किया है। 

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. विवेक चौधरी के नेतृत्व में हाईपेक ( इपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी ) तकनीक से हुए उपचार में कैंसर सर्जन प्रो. डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. भारत भूषण, डॉ. शांतनु तिवारी, डॉ. क्षितिज वर्मा, डॉ. मनीष साहू और एनेस्थेटिस्ट डॉ. सोनाली साहू की मुख्य भूमिका रही।  

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के कैंसर सर्जन प्रो. डॉ. आशुतोष गुप्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि रायपुर की 45 वर्षीय महिला ओवेरियन कैंसर की बीमारी का इलाज कराने कैंसर विभाग में पहुंची। यहां पर कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. विवेक चौधरी ने महिला की बीमारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पाया कि यह कैंसर काफी एडवांस स्टेज में हैं और समय रहते उपचार करना आवश्यक है। ट्यूमर बोर्ड की मीटिंग में डॉ. विवेक चौधरी और डॉ. आशुतोष गुप्ता ने महिला के उपचार के संबंध में दिशा-निर्देश तय की और महिला के एडवांस स्टेज के ओवेरियन कैंसर से प्रभावित हिस्सों को नष्ट करने के लिये हाईपेक पद्धति से उपचार करने का निर्णय लिया। इसके बाद सर्जरी कर पेट के अंदर के कैंसरग्रस्त गांठों को नष्ट किया गया और शेष कैंसर कोशिकाओं को दवाओं के ज़रिये नष्ट करने के लिए पेट के माध्यम से सीधे कीमोथेरेपी दी गई। विशेषज्ञों के मुताबिक मेट्रो सिटी में इस प्रकार की तकनीक से कैंसर का उपचार प्राप्त करने के लिए आठ से दस लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं परंतु क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में मरीज की सर्जरी निः शुल्क हुई है।

क्या है हाईपेक तकनीक
हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी (हाईपेक) कैंसर उपचार की एक पद्धति है जिसमें उदर गुहा (एब्डॉमिनल कैविटी) के माध्यम से सर्जरी के तुरंत बाद कीमोथेरेपी दवाएं दी जाती हैं और दवाओं को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है। पेट के ट्यूमर और प्रभावित अन्य हिस्सों को सर्जरी के जरिये हटाने के बाद हाईपेक तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान रोगी के शरीर का तापमान सुरक्षित रखा जाता है। इस तकनीक का फायदा यह है कि कीमोथेरेपी की दवा पेट के सभी हिस्सों तक पहुंच जाती है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जिससे भविष्य में कैंसर की पुनरावृत्ति का जोखिम कम हो जाता है। यह कई हफ्तों में किये जाने वाले लम्बे उपचार के बजाय ऑपरेटिंग रूम में किया जाने वाला एक ही उपचार है। नब्बे प्रतिशत दवा पेट के अंदर रहती है जो शरीर के बाकी हिस्सों पर दवा के विषाक्त प्रभाव को कम करती है।