विपक्ष की मंशा शराब बंदी की नहीं बल्कि इसे मुद्दा बनाए रखने का है – विकास उपाध्याय

शराब बंदी को लेकर भूपेश सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है – विकास उपाध्याय

रायपुर। संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय ने शराब बंदी को लेकर पूछे जा रहे सवाल पर कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कार्यकाल के आधे समय में जिस गति से पूरे प्रदेश में काम हुआ है,अपने आप में एक उदाहरण है।बावजूद उन्होंने 30 माह पूर्ण होने के दिन ही इस बात को कह दिया था कि सवाल तो पूछे जाएँगे पर जवाब होना चाहिए। इस मूल मंत्र को गांठ बांध कर हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। विकास उपाध्याय ने कहा, कांग्रेस की सरकार ने इन ढाई वर्षों में ऐसा कोई गलत काम नहीं किया कि किसी सवाल का जवाब न दिया जा सके।हम जनता के बीच बेबाकी के साथ जवाब देने तैयार रहना होगा।

विकास उपाध्याय ने एक बयान जारी कर कहा, पिछले ढाई वर्षों में भूपेश की कांग्रेस सरकार जितने काम किए हैं, सवालों का जवाब देने पर्याप्त है और इस बात के संकेत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उसी दिन दे दिए थे, जब 30 माह कार्यकाल पूर्ण हुआ, कि सवाल तो पूछे जाएँगे पर जवाब होना चाहिए। इसी मूलमंत्र को गाँठ बांधकर लोगों के बीच हमें जाना होगा। इन ढाई वर्षों में हमारी सरकार ने जो कर दिखाया है वह लोकतंत्र के लिए एक उदाहरण है। शराब बंदी को लेकर विकास उपाध्याय ने विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर कहा, विपक्ष नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराब बंदी हो, जबकि कांग्रेस की सरकार ने 01 जनवरी 2019 को ही इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया था। जिसके लिए आर्थिक, सामाजिक एवं व्यवहारिक प्रभाव को लेकर अध्ययन करने विभिन्न स्तर पर 03 समितियों का गठन कर दिया था।परन्तु इस समिति में भाजपा और जनता कांग्रेस ने किसी विधायक का नाम भेजने ही मना कर साबित कर दिया कि इसे मुद्दा ही बनाये रखने उन्हें लाभ है।

विकास उपाध्याय ने आगे कहा, वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा जी के नेतृत्व में राजनैतिक समिति का गठन किया गया है। जिसमें कांग्रेस के 08 विधायक एवं बहुजन समाज पार्टी के 01 विधायक सम्मिलित हैं, जबकि भाजपा और जनता कांग्रेस ने शराब बंदी को लेकर रूचि नहीं दिखाई और लगातार पत्राचार के बावजूद इन पार्टीयों से किसी विधायक का नाम प्राप्त नहीं हुआ। बावजूद हमारी सरकार ने शराब बंदी को लेकर कदम आगे बढ़ाते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य की 50 मदिरा दुकानों को बन्द किया, जिसमें 36 देशी व 14 विदेशी मदिरा दुकानें सम्मिलित हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए अप्रैल 2020 से राज्य में संचालित 49 एफएल-02 बार लायसेंस समाप्त किए गए। इसके साथ ही प्रदेश में शराब की कमी को लेकर अवैध मदिरा की रोकथाम के लिए सीमावर्ती जिलों में आबकारी स्थानें एवं जाँच चैंकियाँ खोलने का निर्णय लिया। क्योंकि छ.ग. में शराब एक तरह का लत है जिसे अचानक से बन्द नहीं किया जा सकता, परन्तु इस दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है।