रायपुर- बस्तर के बाद सरगुजा जाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा वन अधिकार मान्यता अधिनियम के क्रियान्वयन पर कार्यशाला लेने का कांग्रेस ने स्वागत किया है। वनोपज पर आधारित रोजगार सृजन, वनसंपदा का स्थानीय लोगों को लाभ वनोपज का जंगल में रहने वालों को सही दाम मिलना सुनिश्चित करने के साथ-साथ वनोपज और लघु वनोपज के संग्रहण के साथ-साथ वेल्यूएडीशन और प्रसंस्करण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये भूपेश बघेल की सरकार काम कर रही है।
बस्तर और सरगुजा संभागों के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दौरो पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने वनाधिकार के सारे प्रकरणों पर पुनर्विचार का फ़ैसला किया है और कांग्रेस चाहती हैं कि सभी वाजिब हक़दारों को वनाधिकार मिले। बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरणों को पुनर्जीवित किया है और आदिवासी राजनेताओं को इसकी कमान सौंपी है। कांग्रेस सरकार चाहती हैं कि आदिवासियों के मुद्दे, मसलों पर आदिवासी ही फ़ैसला लें। कांग्रेस सरकार ने प्रतिबोरा तेंदूपत्ता के लिए भुगतान 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए कर दिया है। कांग्रेस सरकार ने कहा था कि कमीशनखोरी के लिए जूता चप्पल बांटने की जगह तेंदूपत्ता संग्राहकों को नकद पैसा देने के पक्ष में हैं, और कांग्रेस की सरकार बनते ही यह कर दिया है। यूपीए सरकार ने लघु वनोपजों के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया था, लेकिन मोदी सरकार ने इस समर्थन मू्ल्य में 53 प्रतिशत तक की कटौती कर दी और राज्य सरकार ने तत्काल इसे लागू कर दिया। भूपेश सरकार ने सरकार बनने के बाद सात की जगह 15 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर ख़रीदने का फ़ैसला किया है। आदिवासियों के रोज़गार को लेकर कांग्रेस सरकार की चिंता कागज़ी नहीं है। भूपेश बघेल सरकार ने हर ब्लॉक में एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का फ़ैसला किया है। कोंडागांव में मक्का प्रोसेसिंग के लिए फूडपार्क लगाने का फ़ैसला किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने इसका शिलान्यास भी कर दिया है। आने वाले दिनों में कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के लिए वो सारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवायेगी, जिसके लिए वे बरसों से तरसते रहे हैं। कांग्रेस की विकास की अवधारणा में सिर्फ़ सड़कें और इमारतें नहीं हैं। कांग्रेस सरकार लोगों का विकास करना चाहती हैं। कांग्रेस सरकार की विकास की सोच में पूर्व सरकार की तरह कमीशनखोरी नहीं है। कांग्रेस सरकार की विकास की सोच में मानवीयता है, शिक्षा है, चिकित्सा का इंतजाम है और रोजगार का इंतजाम है। कांग्रेस सरकार से आदिवासियों के मन में नई उम्मीद जागी है।
जंगलों में रहने वाले सभी समाज के लोगों के अधिकारों को मान्यता देने के लिए कांग्रेस की केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया था उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार लगातार काम कर रही। वन अधिकार पट्टा में जिन्हें जमीन के पट्टे दिए जा रहे हैं उसे खेती योग्य बनाने के लिए मनरेगा से काम कराने का क्रांतिकारी निर्णय छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने लिया है। हितग्राहियों की भूमि खेती योग्य हो जाने के बाद उन्हें कृषि ऋण भी देने का फैसला कांग्रेस सरकार ने लिया है। वन अधिकार अधिनियम में सबसे पहले सामुदायिक वनाधिकार पट्टों के प्रकरणों का फैसला करने के लिए कहा गया और उसके बाद व्यक्तिगत दावों का निराकरण किया जाने का निर्देश है ताकि जंगल, गांव और हितग्राही तीनों का भला हो सके। छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने सीधे-सीधे वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करते हुए व्यक्तिगत दावों का निराकरण तो किया और वह भी आधे से कम लेकिन सामुदायिक दावों का निराकरण नहीं किया न्यायालय में वनाधिकार पट्टों के हितग्राहियों के पक्ष को भी रमन सरकार ने ठीक ढंग से नहीं रखा जिसका परिणाम अभी तक हितग्राही भुगत रहे हैं। कांग्रेस की सरकार ने कार्यभार संभालने के बाद लगातार वनाधिकार पट्टों को देने की प्रक्रिया में तेजी लाई है और इसका लाभ हितग्राहियों को मिल रहा है।