राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का सम्मेलन
रायपुर-वर्तमान समय में समाज में बढ़ती हुई अपराधिक मनोवृत्ति और हिंसा की प्रवृत्ति को रोकने के लिए मूल्य आधारित नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए स्कूलों में विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। नैतिक शिक्षा के माध्यम से ही हम सभ्य और सुसंस्कृत समाज निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
ये विचार मुख्य अतिथि की आसंदी से महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती भेंडि़या ने छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा ‘नैतिकता एवं संस्कार बच्चों का अधिकार‘ विषय पर आयोजित सम्मेलन में व्यक्त किए।
श्रीमती भेंडि़या ने कहा कि पहले संयुक्त परिवारों में दादी-नानी बच्चों को कहानी के माध्यम से नैतिकता, आचरण, रहन-सहन और चरित्र संबंधी महत्वपूर्ण शिक्षा देती रहती थीं, लेकिन एकल परिवार के बढ़ने से इसमें कमी आई है। ऐसी परिस्थ्तिि में गुरूजनों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बाल-गृह के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बाल-गृहों में कई प्रकार के अपराधों से जुड़े बच्चे भी आते हैं। उनको व्यवहार को समझने के लिए उनकी पृष्ठभूमि और पारिवारिक वातावरण को जानना जरूरी है। बच्चों के प्रति ऐसा व्यवहार रखें कि समाज के प्रति उनकी अच्छी सोच बन सके।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने कहा कि बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक और नैतिक ज्ञान का समावेश भी जरूरी है। इसके अभाव में परिवार, समाज और देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि विधानसभा सचिव श्री चंद्रशेखर गंगराड़े ने नैतिक शिक्षा को शिक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बच्चे सुनने से ज्यादा देखकर सीखते है। इसलिए शिक्षकों को शिक्षा देने के पहले खुद में नैतिक मूल्यों का समावेश करना चाहिए।
इस अवसर पर नैतिक शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए तीन ब्रोशर ‘मोर मयारू गुरूजी‘, ‘आव्हान‘, ‘समझदार पालक-सशक्त प्रदेश‘ और खुला आसमान ऊंची उड़ान संक्षिप्त फिल्म का विमोचन किया गया।
रायपुर के न्यू-सर्किट हाऊस में आयोजित सम्मेलन में बाल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों, सेवा प्रदाताओं और विशिष्ट उपलब्धियों के लिए बालगृहों के प्रतिभाशाली बच्चों को सम्मानित किया गया। ‘नैतिकता व संस्कारयुक्त शिक्षा‘ और उनके घटकों पर विषय विशेषज्ञों और राज्य प्रश्ािक्षण एवं शैक्षणिक अनुसंधान परिषद द्वारा जानकारी दी गई। सम्मेलन में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता, समाजसेवी, शिक्षाविद सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।