प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कुछ क्षेत्रीय दलालों ने प्रदूषण एवं लोगों के जीवन की कर रहे दलाली।
बरगवा अमलाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत कई वर्षों से आदिनाथ बेनिफिकेशन कोल वासरी जो की अनूपपुर और शहडोल जिले की सीमा रेखा पर संचालित है। कोलवासरी से प्रभावित आसपास की आबादी इस समस्या को लेकर कभी विधायक कभी सांसद कभी जनप्रतिनिधियों तो कभी स्वयं इस समस्या से परेशान होकर शासन प्रशासन को चक्का जाम अनशन आंदोलन यहां तक की कई दिनों तक कोलवासरी के मार्ग को अवरुद्ध करते हुए आमरण अनशन तक किया गया किंतु इस समस्या से आज दिनांक तक इस क्षेत्र के लोगों को निजात नहीं मिल सकी और ना ही संचालित कोल वासरी के संचालक के द्वारा जनहित में जारी प्रभावित लोगों को दी जाने वाली सुविधाओं से भी वंचित रखा क्या कारण है की इस प्रकार वर्षों से उनके द्वारा क्षेत्र के लोगों को प्रदूषण के नाम पर बांटी जा रही धीमी जहर के रोकथाम में नाकाम साबित हो रहे क्षेत्रीय जन संचालित कोल वाशरी जहां पर कोयले की वाशिंग करने के नाम पर जमकर मिलावट की जा रही जिनके द्वारा अन्यत्र सप्लाई की जाने वाली कोल रैक में कोल्ड डस्ट मिलाकर शासन प्रशासन को सरेआम चूना लगाया जा रहा है बार-बार अखबार के समाचार के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण विभाग के साथ कोल इंडिया लिमिटेड को आगाह किया जाता रहा किंतु इस कोल वाशरी संचालक की पहुंच के सामने सभी शिकायतें और उनके द्वारा की जा रही कोल डस्ट मिलावट के साथ इस क्षेत्र के संपूर्ण वातावरण को प्रदूषित करने जैसी मामले को भी बिना जांच किए ही एनओसी जारी कर दिया जाता है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोल वाशरी से लगे बकहो और बरगवा नगर परिषद के कुछ दलाल एवं शासन प्रशासन को गुमराह करने वाले फर्जी लोगों के द्वारा आंख में धूल झोंक कर यहां की जनता के साथ उनके रहन-सहन और जीवन शैली को वर्षों से प्रभावित किया जा रहा है। कोल वाशरी संचालक और उसके कर्मचारी गुरुगों से सांठ गांठ बनाकर एक मोटी रकम कमीशन के तौर पर प्रतिमाह लिए जाते हैं जिसके एवं में इनके द्वारा सड़क पर रात्रि कालीन समय में ताबड़ तोड़ कोयले से लदी वाहनों एवं उससे होने वाले प्रदूषण और आए दिन सड़क पर होने वाली घटनाओं से संरक्षित करने का जिम्मा लिए हुए हैं।
ऐसे में देखा जाए तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी जिनके द्वारा ग्रीन पट्टी, वृक्षारोपण एवं कोल्ड डस्ट से पटी सड़कों पर साफ सफाई एवं पानी का छिड़काव किया जाना नियम एवं शर्तों के आधार पर अत्यंत आवश्यक है वह भी नहीं किया जाता ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं एसईसीएल के आका अधिकारियों की मिली भगत को दर्शाता है इस प्रकार सड़कों पर ओवरलोड वाहनों का चलना वातावरण को प्रदूषित करना एवं क्षेत्रीय लोगों के लिए गोल्ड डस्ट के कारण सांस लेना दूभर फिर भी कोलवासरी की आवभगत करने में लगे अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं