पेंशन और मजदूरी भुगतान अब गांव में ही, बैंक सखी देंगी सुविधाएं

वृद्ध, दिव्यांग और अक्षम लोगों के लिए घर पहुंच सेवा, छोटी-छोटी राशियों के लेन-देन के लिए नहीं जाना पड़ेगा बैंक पंचायत मंत्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर बैंक सखी सुविधा का पूरे प्रदेश में विस्तार

रायपुर. ग्रामीणों को अब सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मजदूरी के लिए बैंक नहीं जाना पड़ेगा। बैंक सखी के माध्यम से यह राशि अब गांव में ही उन्हें मिल जाएगी। बैंक सखी ज्यादा बुजुर्ग, दिव्यांग और अक्षम लोगों के घर पहुंच कर उन्हें पेंशन की राशि प्रदान करेंगी। गांव-गांव तक बैंकिग सुविधा पहुंचाने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूह की महिलाओं को बैंक सखी नियुक्त कर रही है। वर्तमान में प्रदेश में 604 महिलाएं बैंक सखी के रूप में गांवों में सेवाएं दे रही हैं। करीब एक हजार 600 अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर शीघ्र ही पूरे छत्तीसगढ़ में इस सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने सभी पंचायतों में बैंक सखी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। श्री सिंहदेव ने बैंक सखी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इसके काफी उत्साहजनक परिणाम आ रहे हैं और लोग इस सुविधा से बहुत खुश हैं। इससे जहां हितग्राहियों को बिना किसी समस्या के नियमित पेंशन मिल रहा है, वहीं मनरेगा जैसी योजनाओं में मजदूरी का भुगतान भी किया जा सकता है। ग्रामीण महिलाओं को इससे रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि बस्तर में हाट-बाजारों में बैंक सखी की मौजूदगी सुनिश्चित की जाएगी ताकि वहां भी पेंशन और मजदूरी का भुगतान किया जा सके।

बैंक सखी की नियुक्ति से लोगों को छोटी-छोटी राशियों के लेन-देन के लिए बार-बार बैंक नहीं जाना पड़ेगा। इससे बैंकिंग सुविधाएं घर-घर तक पहुंचेंगी। बैंक आने-जाने में लोगों के लगने वाले धन, श्रम और समय की भी बचत होगी। इससे बैंकों पर दबाव भी कम होगा। ‘आपका बैंक आपके द्वार’ के ध्येय से सरकार औसतन पांच ग्राम पंचायतों के लिए एक बैंक सखी नियुक्त करेगी। बैंक सखी के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आजीविका कार्यों में लगीं स्वसहायता समूह की महिलाएं भी अपना वित्तीय लेन-देन गांव में ही कर सकेंगी।

बैंक सखी एंड्राइड मोबाइल, सिम कॉर्ड और बायोमीट्रिक डिवाइस के साथ गांव-गांव जाकर मोबाइल बैंकिंग यूनिट के रूप में सेवाएं देंगी। बैंक सखी के रूप में कार्यरत महिलाओं को उनकी सेवाओं के एवज में उनके द्वारा लोगों को किए गए भुगतान के अनुसार कमीशन मिलेगा। भुगतान की राशि का आधा प्रतिशत उन्हें कमीशन मिलेगा। एक वित्तीय लेन-देन पर कमीशन की अधिकतम सीमा 15 रूपए निर्धारित है।

बस्तर में हाट-बाजारों में रहेंगी बैंक सखी

वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित बस्तर संभाग के चार जिलों दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर के दूरस्थ एवं दुर्गम इलाकों में पहुंच की समस्या के चलते वहां हाट-बाजारों में बैंक सखी की मौजूदगी सुनिश्चित की जाएगी। इन क्षेत्रों में बैंकों की संख्या भी कम है। बैंक सखी की तैनाती से सामाजिक सुरक्षा पेंशन और बैंक खातों के माध्यम से होने वाले मजदूरी भुगतान में तेजी और नियमितता आएगी।