रायगढ़ । खबर है कि शहर के इकलौते सार्वजनिक लाइब्रेरी जिला ग्रन्थालय के विस्तार के लिए काम शुरू किया जा रहा है। यह एक अच्छी खबर है। इस लाइब्रेरी के विस्तार की जरूरत एक अरसे से महसूस की जा रही थी जो अब जाकर पूरी होने जा रही हैं, हालांकि इसी खबर के साथ एक और खबर भी जुड़ी हुई है जो अच्छी नहीं है।
बताया जा रहा है कि लाइब्रेरी के विस्तार लाइब्रेरी के ऐन पीछे स्थित पं. लोचन प्रसाद पांडेय पुरातत्व संग्रहालय की ओर किया जा रहा है जबकि पूर्व में लाइब्रेरी भवन का विस्तार लाइबे्ररी के मौजूदा इमारत में एक और मंजिल का निर्माण कर किए जाने की योजना थी, लेकिन अब अचानक लाइब्रेरी का विस्तार उसके पीछे के हिस्से में करने की संशोधित योजना से पुरातत्व संग्रहालय के अस्तित्व के सामने ही संकट पैदा हो जाएगा, जबकि पुरातत्व संग्रहालय जिस भवन में है वह रायगढ़ के ऐतिहासिक भवनों में से एक है, अभी हाल ही के वर्षों में लाखों रुपए खर्च करके पुरातत्व संग्रहालय को एक आकर्षक स्वरूप दिया गया था। पुरातत्व संग्रहालय वाले इस भवन में जिले की पुरातात्विक संपदा को सुरक्षित और संरक्षित रखा गया है, यह पुरातात्विक संपदा रायगढ़ के अतीत के अध्ययन के लिये एक बड़ा आधार है, यहां यह भी बताना होगा कि वर्षों पहले जिला पुरातत्व समिति के सदस्य शिव राजपूत ने दुर्लभ प्रजाति के वृक्ष मौलश्री का एक पौधा पुरातत्व संग्रहालय के सामने वाले हिस्से के एक कोने में रोपा था जो अब काफी बड़ा हो गया है, लाइब्रेरी का विस्तार अगर इसी ओर किया गया तो पुरातत्व संग्रहालय का मौजूदा स्वरूप तो ओझल हो ही जाएगा, इससे दुलर्भ प्रजाति के मौलश्री वृक्ष के भी कट जाने का खतरा बना हुआ है।
बेहतर होता लाइब्रेरी का विस्तार पुरातत्व संग्रहालय की ओर करने की बजाय लाइब्रेरी के मौजूद भवन में एक और मंजिल का निर्माण करके किया जाये, इससे भवन निर्माण की लागत भी कम होगी और पुरातत्व संग्रहालय का मौजूदा स्वरूप भी यथावत बना रहेगा और मौलश्री का वृक्ष भी अपनी जगह रहेगा।