वर्षों से नहीं खुला सटर, लाखों रुपये का हुआ दुरुपयोग
बैकुण्ठपुर– जिले के पांचों जनपद पंचायत के क्षेत्र, नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत व कुछ ग्राम पंचायतों मे वाटर एटीएम लगाया गया है। जहां कुछ जगहों पर वाटर एटीएम तो लगा दिया गया है। इनका उद्घाटन तक हो चूका है, लेकिन आज तक शटर मे लगा ताला तक नहीं खुल सका है। इतना ही नहीं कहीं कहीं पर लगे वाटर एटीयम के शटर तो खुला है। लेकिन उसमे से पानी नहीं निकलता है। जिले मे कई वाटर एटीएम साल भर से शो-पीस बन कर रह गए हैं। वाटर कनेक्शन के अलावा बिजली कनेक्शन भी नहीं मिल पाया है, क्योंकि नगरीय प्रशासन विभाग ने साफ नहीं किया कि वाटर एटीएम का बिजली बिल का भुगतान आखिर कौन करेगा। नतीजतन लगभग दर्जनों वाटर एटीएम सिर्फ सड़कों की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्यासे लोग उसके करीब आते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि बिजली नहीं होने व मशीन खराब होनें के कारण मशिनें ठप्प पड़ी है।
साल भर से नहीं मिला बिजली कनेक्शन
जिले में गर्मी का मौसम खत्म हो चूका है जिसके बाद भी वाटर एटीएमों की रिपेरिंग नहीं कराई जा रही है। जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर मे ही क ई वाटर एटीएम बंद पडे है। दुर दराज से आए लोगों का कंठ सूखने लगता है तब वह पानी की तलाश में वाटर एटीएम की ओर निहारते है, लेकिन उन्हें उस वक्त मायूसी हाथ लगती है जब पता चलता है कि साल भर से बिजली के अभाव मे या तो मशिनें खराब होने के कारण पानी नहीं निकल रहा है। ऐसे में प्यासे नागरिक सरकार को कोसने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते है। जबकि सरकार ने भली मंशा से लोगो को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का बंदोबस्त किया था।
नगरीय निकायों के अफसरों ने फेरा पानी
वाटर एटीएम मशीन खरीदने के लिए नगरीय निकायों को अच्छा खासा बजट मुहैया कराया कराया गया था, लेकिन उसकी इस कवायद पर नगरीय निकायों के प्रशासन ने ही पानी फेर दिया। इसे अफसरों की भूल कहें या लापरवाही. उन्होंने वाटर एटीएम तो विभिन्न स्थानों में लगा दिया, लेकिन मशीनों को बिजली कनेक्शन व बिगड़े मशिनों को दुरुस्त कराने का ना तो कोई बंदोबस्त किया और ना ही कोई दिशा निर्देश दिए। ऐसे में वाटर एटीएम मुहैया कराने वाली कंपनी ने अपना काम कर दिया। उसने नियत स्थान पर वाटर एटीएम स्थापित किए और उसका बिल का भुगतान प्राप्त कर रुखसत हो गई।
वाटर एटीएम मशीन शहरो सहित ग्रामिण क्षेत्रों मे लगी है जहां साल भर से राहगीरों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मशिनों मे खराबी के कारण कुछ नहीं कर पा रहे है, और न ही इस बारे में अफसरों का कोई ध्यान है। अधिकारियों को कई बार शिकायत लिखित सहित मौखिक बोला गया है। जिसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों मे जूं तक नहीं रेंग रही है।