संस्थान के प्रवक्ता के अनुसार, देश में अपनी तरह के इस पहले केंद्र में अपराध के अध्ययन के साथ इसके विश्लेषण के लिए टूल विकसित किए जाएंगे। यहां पुलिसकर्मियों को अपराध नियंत्रण, रोकथाम, तकनीक के प्रयोग और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशिक्षण मिलेगा। सेंटर की सबसे खास बात यह होगी कि यहां अपराध और उसके नियंत्रण से संबंधित पूरे देश के डेटा को इकट्ठा कर प्रभावी अपराध नियंत्रण, फरेंसिक साइंस, सबूतों-अनुमान पर आधारित पुलिसिंग और रोज के कामकाज के लिए नई तकनीक विकसित करने पर काम होगा। सरकारी नीति के अलावा किसी विशेष आपराधिक न्याय से संबंधित नीति पर शोध के साथ आधुनिकीकरण पर भी मंथन होगा।
देश के बेहद जटिल सामाजिक और राजनीतिक ढांचे के मद्देनजर अपराधशास्त्र, कंप्यूटिंग साइंस, गणित, भौगोलिक परिस्थितियों, मनोविज्ञान, प्रबंधन और दर्शन का अध्ययन कर पुलिस को अपराध घटाने में मदद दी जाएगी। यहां से पुलिस को नियोजन, तकनीकी परियोजनाओं के प्रबंधन और विशेषज्ञों के साथ अत्याधुनिक तकनीक से भी जुड़ने के पूरे मौके मिलेंगे। केंद्र के विशेषज्ञ अपराध, पुलिस और जन-सुरक्षा पर शोध-पत्र पेश करेंगे। यहां नीति निर्धारकों, जनता और पत्रकारों को पुलिसिंग के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में जागरूक किया जाएगा। इन कामों के अलावा पुलिस, निजी सुरक्षा एजेंसियों और आपराधिक न्याय से जुड़े लोगों को डेटा विश्लेषण में सर्टिफिकेट प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिलेगा। इस सेंटर में संस्थान के प्रफेसरों के अलावा स्नातक छात्र-छात्राएं, केंद्र-राज्य सरकारों के पुलिस अधिकारियों के अलावा आपराधिक न्याय से जुड़े लोग शामिल होंगे।
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