सरकार अगर डाका डाले तो जाँच कौन करेगा :गुलाम नबी आज़ाद

रायपुर/ देश के राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ है। राफेल डील के मामले में। इसकी जांच क्यों नहीं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश में बोलते है, संसद के बाहर बोलते है पर संसद में उनसे पूछे गये सवालों का जवाब वो क्यों नहीं देते? देश में आपातकाल के सारे प्रावधान गैर कानूनी तौर पर लगा दिये गये है। देश में इस समय लोकतंत्र नहीं डिक्टेरशिफ चल रहा है। 41 हजार करोड़ रू. कहा गये जनता को बतायें? देश में अब लोक तांत्रिक व्यवस्था कायम नहीं रही।
डिक्टेटरशिफ चल रहा है। विपक्ष के एक भी मांग पर जांच का फैसला क्यों नहीं? अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं नेता प्रतिपक्ष राज्यसभा गुलाम नबी आजाद आज कांग्रेस भवन में एक संवाददाता से सम्मेलन में उक्त आरोप लगाये है। श्री आजाद ने चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि चर्चा के विषय तो बहुत है महंगाई पर चर्चा होनी चाहिये रूपय गिरा, पेट्रोल का दाम महंगा हो रहा है उस पर भी चर्चा हो, बहू बेटियां असुरक्षित है, छोटी-छोटी बच्चियों के साथ जो कृत्य हो रहे है ये सारे मुद्दे घर के अंदर और घर के बाहर चर्चा हो रहा है। ये मुद्दे किसी भी एक समाज या किसी एक राजनैतिक दल का मुद्दा नहीं या किसी धर्म का मुद्दा नहीं है। आज जो वातावरण है उस पर पूरे देश में चर्चा होनी चाहिये। मैं जिन मुद्दो पर चर्चा करने आया हूं वे देश की सुरक्षा से जुड़े राफेल लड़ाकू विमान जिस पर उसकी खरीदी को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। आज के शाषक अपने विरूद्ध कुछ छपने नहीं देना चाह रहे है और न हमारे समय जैसा विपक्ष की बाते टीवी और मीडिया में स्थान पाती थी। वैसा आज हमे स्थान नहीं मिल रहा है जिसके कारण हमे उब पूरे देश में सौ सौ पत्रकारवार्ता कर के अपनी बात रखनी पड़ रही है। उन्होने कहा कि आज के दौरे में आपातकाल के सारे प्रावधान गैर कानूनी तौर पर लागू है।


आजादी के बाद  तक ऐसा घोटाला नहीं हुआ। इस घोटाले के लिये बड़ा आंदोलन चलाना चाहिये। प्रधानमंत्री अकेले विदेश में जाकर बिना मंत्री परिषद की सहमति के सौदा रद्द कर देते है। प्रधानमंत्री बताये 126 विमान खरीदी का फैसला था अपने 90 क्यों नहीं खरीदा। 526 करोड़ रू. के विमान को 1617 करोड़ के दर में क्यों खरीदा? प्रधानमंत्री विदेशो में बोलते है। सदन में नहीं बोलते। सदन में जवाब क्यों नहीं देते है। सदन के अंदर उनका मुंह नहीं खुलता 36 जहाज खरीदी की बात किसी तरह से की। उन्होंने सवाल उठाते हुये कहा कि ये देश के साथ इतना बड़ा घोटाला किया है कि यह देश की सुरक्षा के साथ धोखा है। रक्षा कि विषय आखिर समझौता क्यों? आप चिल्लाते है पर रक्षा उपकरण कम नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान व अन्य देशों के साथ रिश्तों को लेकर खुब हल्ला करते है पर आप रक्षा उपकरण कम करते है क्यों? गुलाम नबी आजाद ने यह भी प्रश्न किया कि 526 करोड़ का विमान 1617 करोड़ में खरीद रहे है। 1150 करोड़ रू. कहा गया? कुल 41 हजार करोड़ का गोलमाल है। ये जनता और देश का पैसा है। इसका जवाब मिलना चाहिये।
प्रधानमंत्री श्री मोदी मेंक इन इंडिया की बात करते है ये देश की सार्वजनिक उपक्रम को ठेका मिला होता तो हजारों लोगो को रोजगार मिला होता। बाम्बे की कंपनी को बिना निविदा के ये कैसे दे दिया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है इस मामले पर सीधे प्रधानमंत्री ने नया अनुबंध किया है तो देश की जनता को बताएं।
श्री आजाद ने कहा है कि हमारे समय में किसी भी विषय पर विपक्षीय दल जांच की मांग करती थी। मंत्रियों के इस्तीफे मांगते थे, हम जांच भी कराते थे, मंत्रियो के इस्तीफे भी लिये पर आज की सरकार जांच से क्यों बचती है। क्यों जांच नहीं कराती? उन्होने आरोप लगाते हुये कहा कि राफेल विमान खरीदी मामले में प्रधानमंत्री ने निर्णय पहले किया और बाद में मंत्रियों से दस्तखत करवाएं। ये डिक्टेटरशिफ है इसकी जांच होनी चाहिये।
अटल जी के जमाने में लोकतंत्र था


पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह मंत्री मंडल कांग्रेसी सरकार के मंत्री मंडल में मंत्री रहे। गुलाम नबी आजाद ने आरोपे के बीच यह कहने से भी नहीं चुके कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जमाने में लोकतंत्र था सबकी सुनी जाती थी। और फैसले भी होते थे। आज के प्रधानमंत्री के तौर में अघोषित आपातकाल व डिक्टेटरशिफ में गुलाम नबी आजाद चर्चा की शुरूआत में ही राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में विपक्ष को स्थान नहीं मिलने को लेकर बात करते रहे और इस समय सबको असुरक्षा में होने की बात कर रहे थे। इस बीच एक प्रतिप्रश्न पर उन्होने साफ कहा मैं क्षमा चाहुंगा की मेरी धारणा छत्तीसगढ़ की मीडिया को लेकर नहीं थी। इस समय जो राष्ट्रीय स्तर पर है उसको लेकर मै कह रहा हूं हमारी सरकार के समय आप हमे कम विपक्ष को ज्यादा देखते थे। उन्हें अधिक स्थान मिलता था पर हमारी तरफ से कभी कोई बदिशा नहीं थी। पर आज आप को क्या छिपाना है। टीवी में क्या दिखाना है? कितना दिखाना है ये वे तय कर रहे है और इसलिये हमको पूरे देश में यह बात कहनी पड़ रही हैं।
विपक्ष में आप है पर आप अभी भी सत्ता में होने की शैली में बात और व्यवहार करते है। और सत्ताधारी दल सत्ता में होकर भी कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना के नारो के साथ अभी भी वे विपक्ष की तरह व्यवहार करते है। ऐसे में जनता जाये तो जाये कहां और जनता के मुद्दे पर कहां न्याय होगा। ये किस प्रकार का वातावरण है। गुलाम नबी आजाद ने इस प्रश्न को गंभीरता से लेते हुये कहा कि हम विपक्ष की भूमिका में बहुत सवाल उठाते है पर सरकार जवाब नहीं देती, जांच नहीं करवाती इसलिएं ऐसा लगता है कि वे डिक्टेटरेशिफ का दौरा है। इसलिय ऐसा लगात है।
एक युवा पत्रकार ने जब ये पूछा की तीन महिने से राफेल का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा है और मीडिया इसे देख रही है। फिर भी इस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। क्या कांग्रेस पार्टी उतनी मजबूती के साथ नहीं उठ पा रही है या फिर सरकार के सामने आप की सुनी नहीं जा रही है। श्री आजाद ने फिर कहा कि यही तो डिक्टेटरेंशिफ है। यूपीए की समय में जांच की मांग और इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता था। पर अभी सुनवाई नहीं होती इसलिये आपका यह सवाल है।
आज के प्रेसवार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, चुनाव कार्य समिति के सदस्य एवं सांसद ताम्रध्वज साहू, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष धनेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री मो. अकबर, राज्ससभा सांसद छाया वर्मा, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री मो. अकबर, पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ल, पूर्व सांसद करूणा शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार डहरिया, पूर्व मंत्री अरविन्द नेताम, प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, राजेश तिवारी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेन्द्र तिवारी, संचार विभाग के सदस्या रमेश वर्ल्यानी, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, संचार विभाग के सदस्य किरणमयी नायक, प्रदेश कांग्रेस मुख्य मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला, संचार विभाग के सदस्य आर.पी.सिंह, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर उपस्थित थे।