वाराणसी: गोइठहां एसटीपी से भी खतरा, आईआईटी बीएचयू करेगा जांच

विकास पाठक, वाराणसी
वाराणसी में गंगा में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए नया बना गोइठहां (एसटीपी) भी मानक पर खरा नहीं उतरा है। इस प्‍लांट से शोधन के बाद छोड़े जाने वाले जल को पीने से जानवर मर रहे हैं, तो फसलें झुलस जा रही हैं। सूबे के मुख्‍य सचिव के निर्देश पर प्‍लांट के शोधन क्षमता की जांच के विशेषज्ञ करेंगे। इससे पहले दीनापुर एसटीपी की जांच रिपोर्ट भी चौंकाने वाली रही है।

गंगा में नालों के जरिए गिरने वाले सीवेज के शोधन के लिए वाराणसी में गोइठहां और दीनापुर में 260 एमएलडी के दो एसटीपी का निर्माण करीब तीन सौ करोड़ की लागत से किया गया है। पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पण के बाद दोनों प्‍लांट चालू हो गए हैं। शुक्रवार को वाराणसी आए मुख्‍य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी से किसानों ने एसटीपी प्‍लांट से नहरों में छोड़े जा रहे पानी के बेहद प्रदूषित होने की शिकायत करते हुए बताया कि एसटीपी के पानी से फसलें बढ़ने के बजाए पेड़ झुलस जा रहे हैं और जानवर पीते ही मर जा रहे हैं। स्‍थानीय अधिकारी शिकायत करने पर डांटकर भगा देते हैं।

मुख्‍य सचिव ने किसानों की समस्‍या सुनने के बाद अधिकारियों को फटकार लगाई। नाराजगी जताते हुए सीडीओ गौरांग राठी से कहा कि एसटीपी के पानी से मुंह-हाथ धोइए तब पता चलेगा कि हकीकत क्‍या है। मुख्‍य सचिव के निर्देश पर से निकलने वाली पानी के नमूने लिए गए हैं। नमूनों के साथ एसटीपी की शोधन क्षमता की जांच आईआईटी बीएचयू के विशेषज्ञों से कराई जाएगी।

दीनापुर एसटीपी पर लगा जुर्माना
इससे पहले दूसरे नए बने दीनापुर एसटीपी से होने वाले डिस्‍चार्ज से गंगा में प्रदूषण बढ़ने की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट का एनजीटी ने संज्ञान लिया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में यह तथ्‍य सामने आया है कि शोधन मानक क्षमता 10 बीओडी के सापेक्ष एसटीपी से छोड़े जाने वाला पानी 27 बीओडी है। बोर्ड ने पर्यावरणीय क्षति के लिए एसटीपी का संचालन करने वाली जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर 45 लाख का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है।

Source: Uttarpradesh Feed By RSS