देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी नगरी में सोमवार को पहली बार उर्दू भाषा में ‘दास्तान-ए-राम’ के मंचन से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम हुई। इस रामलीला में भरतनाट्यम, कथक और छाऊ नृत्य का मिश्रण तो कर्नाटक की प्रसिद्ध परछाई विधा यानी बांस की लंबी कठपुतली का डांस भी देखने को मिला।
यूं तो काशी नगरी के हर इलाके में रामलीला होती है,लेकिन एक महीने तक चलने वाली रामनगर की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है। नाटी इमली का भरत मिलाप और चेतगंज की नक्कटैया वाराणसी के लक्खा मेलों में शुमार है। अब तक काशीवासियों ने हिंदी और संस्कृत भाषा में ही रामलीला देखी और सुनी थी, पर सोमवार शाम नागरी नाटक मंडली में उर्दू भाषा में मंचित रामलीला दास्तान-ए-राम देखने का मौका मिला।
विभिन्न प्रदेशों की नृत्य, गायन शैलियां समाहित दो घंटे की रामलीला के मंचन में 40 कलाकारों की टीम शामिल रही। राम का किरदार अभिनेता संदीप कुमार ने और सीता की भूमिका शानपा ने निभाई। रावण की सेना में नागालैंड के कलाकार पारंपरिक भाला लेकर लड़ते नजर आए। बांस से बनी लंबी कठपुतली का डांस देख लोग रोमांचित हुए।
इस कठपुतली डांस की खासियत रही कि एक व्यक्ति एक समय में एक ही कठपुतली चला पाता रहा। संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से प्रफेसर दानिश इकबाल द्वारा लिखित दास्तान-ए-राम का निर्देशन मुस्ताजब मलिक ने किया।
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