काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) कैंपस में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव का काफिला रोके जाने से हडकंप मच गया। पूरे घटनाक्रम के दौरान लखनऊ से दिल्ली तक फोन घनघनाने लगे। इसके बाद आनन-फानन में उन्हें दूसरे रास्ते से गेस्ट हाउस में पहुंचाया गया।
बता दें कि जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त के शताब्दी प्रेक्षागृह में ‘कश्मीर पर परिचर्चा: सामाजिक आर्थिक संदर्भ’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में शामिल होने सोमवार दोपहर विवि परिसर में पहुंचे थे। इसी दौरान कुलपति आवास के पास बने एलडी गेस्ट हाउस में ठहरने के लिए उनका काफिला जब सिंह द्वार के पास पहुंचा तो वहां मुख्य गेट बंद मिला।
इस दौरान गेट ना खोलने पर राम माधव की सुरक्षा में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की सुरक्षाकर्मियों से तीखी नोंकझोंक हुई। बताया जा रहा है कि काफिला जिस वक्त सिंह द्वार पर पहुंचा था उस दौरान परिसर में हो रहे प्रदर्शन के कारण सुरक्षाकर्मियों ने पहले से ही मेन गेट बंद कर रखा था।
मौके पर पहुंचे बीएचयू प्रशासन के अधिकारी
सूत्रों के मुताबिक राम माधव का काफिला रोके जाने की जानकारी मिलने के बाद लखनऊ और दिल्ली में बैठे अधिकारियों में हड़कंप मच गया। वहीं सूचना पर बीएचयू प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इसके बाद परिसर के दूसरे गेट से राम माधव और उनके साथ मौजूद लोगों को गेस्ट हाउस के अंदर पहुंचाया गया। इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ प्रॉक्टर प्रफेसर ओ.पी.राय ने काफिला रोकने की बात को गलत बताया। प्रॉक्टर ने कहा कि छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए मेन गेट की बजाए दूसरे गेट से उन्हें सम्मानपूर्वक गेस्ट हाउस में पहुंचाया गया था।
कश्मीरियों को गले लगाने की जरूरत
बीएचयू में आयोजित व्याख्यान में मुख्या वक्ता के तौर पर राम माधव ने कश्मीर के अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ ही सरकार का पक्ष भी सामने रखा। राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब विकास की राजनीति होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने साहसिक फैसला लेकर ऐतिहासिक भूल को दुरुस्त किया है। देश के अन्य राज्यों की जनता से अपील है कि कश्मीरियों को गले लगाइए, क्योंकि अब उन्हें डर है कि कहीं उनकी संस्कृति और जमीन को दूसरे राज्यों के लोग छीन ना लें।
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