पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 17 जिलों को दिल्ली में मिलाकर अलग ग्रेटर दिल्ली प्रदेश बनाने की मांग तेज हो गई है। इसके लिए 7 नंवबर को मेरठ से दिल्ली तक हजारों लोग पदयात्रा निकालेंगे और प्रदर्शन करके सरकार का ध्यान खीचेंगे। संगठनों का कहना है कि के लोगों को हर काम के लिए राजधानी लखनऊ जाने के लिए 500-600 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
अलग प्रदेश के लिए कई जिलों के करीब 20 सामाजिक संगठन एकजुट हुए। पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर आंदोलन के संयोजक हैं। बुधवार को 20 संगठनों की मेरठ में मीटिंग हुई। जिसमें कहा गया कि आजादी की लड़ाई की चिंगारी मेरठ से फूटी थी और अलग प्रदेश के लिए भी अलख यहीं से जगाई जाएगी। प्रस्ताव पास करके 7 नवंबर को मेरठ से दिल्ली तक विशाल पदयात्रा निकालना तय किया गया।
‘पश्चिमी यूपी से टैक्स लेकर पूर्वी यूपी में होता है विकास का काम’
मुखिया गुर्जर ने बताया कि मीटिंग में कहा गया, ‘यूपी की आबादी करीब 25 करोड़ है। पश्चिम से राजस्व और टैक्स के नाम पर पैसा एकत्र करके पूर्वी क्षेत्रों में विकास कराया जाता हैं। पश्चिम की उपेक्षा की जाती है। पश्चिम यूपी के 17 जिलों को यदि दिल्ली में शामिल कर लिया जाए तो वे राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे। नौकरी करने, न्याय के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने, सरकार तक अपनी बात कहने को राजधानी तक जाने के लिए 500 से 600 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।’
पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर ने कहा, ‘आबादी में उत्तर प्रदेश विश्व के 195 देशों से बड़ा है। इसका विभाजन जरूरी है। छोटे प्रदेश में ही नागरिकों का भला हो सकता है। ग्रेटर दिल्ली के गठन का विधेयक वर्ष 1953 में ही दिल्ली विधानसभा में पास हुआ था। दिल्ली से जुड़कर ही पश्चिम के 17 जनपद राष्ट्र की मुख्य धारा में आ सकते हैं। उन्हें न्याय सुलभ होगा और आय भी बढ़ेगी।’
Source: Uttarpradesh