रायपुर/ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की हालत को बेहतर बनाने के लिए यूपीए सरकार के दौरान 18 हजार करोड़ की योजना बनाई गई थी, बाद में विस्तारीकरण की यह योजना 22 हजार करोड़ तक पहुंच गई। इस योजना के क्रियान्वयन का नतीजा कुछ भी नहीं निकलता देखकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं उत्पन्न हो रही है। सेल की सभी इकाइयों में बीएसपी का प्रदर्शन सबसे अच्छा होता था, लेकिन मौजूदा हलात को देखकर और लगातार घटते उत्पादन एवं घाटे से आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह संयंत्र भी निजीकरण की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है। 14 जून 2018 को पीएम मोदी ने भिलाई इस्पात संयंत्र का दौरा किया था और 7 मिलियन टन विस्तारीकरण परियोजना के तहत वी.आर.एम, यू.आर.एम, ब्लास्ट फर्नेश-8, एस.एम.एस-3 आधुनिक एवं विस्तारीकरण यूनिटों को राष्ट्र को समर्पित किया था। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि भिलाई ने स्टील ही नहीं देश को बनाया है और छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह सुनहरा अध्याय है। योजना के क्रियान्वयन के पश्चात एनडीए सरकार एवं सेल द्वारा उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने का दावा किया गया था और भिलाई इस्पात संयंत्र के गिरते उत्पादन में सुधार लाने का उल्लेख किया गया था। किन्तु संयंत्र की उत्पादन स्थिति में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। नतीजा आज भी शून्य है तथा उत्पादन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। दुनिया के सबसे आधुनिक ब्लास्ट फर्नेश-8 ’महामाया’ की क्षमता 8400 टन हाट मेटल रोज बनाने की है पर बताया जा रहा है वहां भी उत्पादन आधा ही हो रहा है। अब कई तरह का सवाल खड़ा हो रहा है कि 22 हजार करोड़ खर्च किया गया तो इससे संयंत्र को आखिर क्या फायदा हुआ? इसके लिए भाजपा सरकार, इस्पात मंत्रालय, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया सहित भिलाई इस्पात संयंत्र संयुक्त रूप से जवाबदार है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भिलाई इस्पात संयंत्र में उचित समय पर रखरखाव और मरम्मत नहीं होने, आधुनिक मशीनों की कमी, खस्ताहाल स्ट्रक्चर, संयंत्र का 60 साल पुराना होना और कुशल एवं पारंगत तकनीशियनों की कमी होने का कारण बताकर प्रबंधन द्वारा पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता है। सरकार द्वारा 22 हजार करोड़ की योजना का विस्तारीकरण किया गया था फिर क्यों उत्पादन में गिरावट आ रही है? स्थिति में सुधार नहीं होना एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं होना चिंता का विषय है। प्रबंधन एवं सेल की उदासीनता के कारण पूरा सिस्टम बदहाल हो चुका है। यही वजह है कि उत्पादन में कमी आ रही और संयंत्र के भीतर लोग हादसे का शिकार भी होते रहते हैं।