संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों ही सदनों पर विभिन्न मुद्दों को लेकर कांग्रेस हंगामा कर रही है। लोकसभा में आज ने शून्यकाल में इलेक्टॉरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जारी करने के कारण सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी। राज्यसभा में भी चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों और अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा किया। चुनावी बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन से कांग्रेस ने वॉकआउट भी किया जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
चुनावी बॉन्ड को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल
मनीष तिवारी ने इलेक्टॉरल बॉन्ड को सियासत में पूंजीपतियों का दखल करार दिया। उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और चुनाव आयोग के विरोध के बाद भी चुनावी बॉन्ड जारी किए उससे सरकारी भ्रष्टाचार के ऊपर एक अमलीजामा चढ़ गया है। 2014 से पहले इस देश में एक मूलभूत ढांचा था। उस ढांचे के तहत जो धनपशु लोग हैं जो अमीर लोग हैं, उनका भारत की सियासत में पैसे के हस्तक्षेप पर एक नियंत्रण था।’
सरकार पर भ्रष्टाचार को व्यवस्था का हिस्सा बनाने का आरोप
तिवारी ने चुनावी बॉन्ड पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘1 फरवरी 2017 को इस सरकार ने अज्ञात इलेक्टॉरल बॉन्ड का प्रावधान किया। इस प्रावधान के बाद अब न तो जो डोनर है उसका पता चल सकता है और न कितना पैसा दिया गया और किस पार्टी को दिया गया, किसको दिया गया उसका ही पता चल सकता है। सरकारी भ्रष्टाचार को इस सरकार ने अमलीजामा पहनाने का काम किया है।’
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कांग्रेस सांसद ने कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आपको बहुत गंभीरता और जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं कि पहले यह स्कीम सिर्फ लोकसभा के आम चुनाव तक सीमित थी। विडंबना की बात है कि 11 अप्रैल 2018 को कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले इसे विधानसभा चुनाव में लागू किया गया।’ हालांकि, इस पर लोकसभा स्पीकर ने उन्हें टोकते हुए नाम नहीं लेने की हिदायत दी। जवाब में तिवारी ने कहा कि उनके पास आरटीआई के जरिए मिली सूचना और कागज है और वह इसे पटल पर रख देंगे।
क्या हैं चुनावी बॉन्ड?
सरकार राजनीतिक दलों को नकद में मिलने वाले चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड लेकर आई थी। 2017-18 के बजट के दौरान चुनावी बॉन्ड शुरू करने की घोषणा की गई थी। यह करंसी नोट की तरह ही होता है जिसके ऊपर इसकी कीमत लिखी होती है। चुनावी बांड 1000, 10,000 और 1 लाख और 1 करोड़ रुपये के मल्टीपल में खरीदे जा सकते हैं। भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को चुनावी बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है। ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नै, गांधीनगर, चंडीगढ़, रांची और बेंगलुरु में स्थित हैं।
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