पुजारा ने दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘दूधिया रोशनी में बल्लेबाजी करना मुश्किल था लेकिन जब हमने दूधिया रोशनी में खेलना शुरू कर दिया तो यह ज्यादा ही चुनौतीपूर्ण था। पहला सत्र बल्लेबाजी के लिए थोड़ा आसान था लेकिन जब लाइट्स चालू की गईं तो गेंद थोड़ी ज्यादा स्विंग करनी शुरू हो गई। यह दिन का सबसे परीक्षा भरा समय था। धूप की रोशनी में गेंद देखना आसान होता है।’
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उन्होंने कहा, ‘सांझ का पहर गेंदबाजी करने के लिए सही समय था। गेंद स्विंग कर रही थी और हमने सोचा कि हम जल्दी विकेट चटका सकते हैं। वह सही समय था और ओस भी नहीं थी। चायकाल के बाद ओस गिरनी शुरू हुई।’ पुजारा ने कहा कि गुलाबी गेंद से बल्लेबाजी करने का आदर्श समय पारी के शुरू में था और अंतिम सत्र से अंत में था।
पुजारा ने कहा, ‘एक बार ओस गिरने लगी तो यह फिर आसान हो गया। बल्लेबाजी करने के लिए शुरू में कुछ घंटे और शायद अंतिम घंटे आसान थे।’ कूकाबूरा (दलीप ट्रोफी) और एसजी गुलाबी गेंद दोनों से सामना करने वाले पुजारा ने कहा, ‘गेंद तेजी से बल्ले पर आ रही है, जैसे कूकाबूरा की गेंद आती है लेकिन एसजी गेंद ज्यादा स्विंग होती है। कूकाबूरा से स्पिनरों को कोई मदद नहीं मिलती लेकिन यहां देखा कि अश्विन और तैजुल गेंद को स्पिन कर पा रहे थे। स्पिनरों को थोड़ी मदद मिल रही थी लेकिन यह इतनी नहीं थी जितनी लाल गेंद से मिलती थी।’
Source: Sports