महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में है। राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को चौंकाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और अजित पवार ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ लेने के बाद अब उनके सामने विधानसभा में बहुमत का गणित साधने की बड़ी चुनौती है। बीजेपी अब विप को लेकर लड़ाई लड़ रही है वहीं, विपक्ष प्रोटेम स्पीकर की मांग पर अड़ा हुआ है।
बीजेपी की नजरें अपने स्पीकर पर
दरअसल, असल खेल विप को लेकर ही है। बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष की मांग कर रही है वहीं, विपक्ष प्रोटेम स्पीकर के लिए मांग कर रहा है। ऐसी परंपरा है कि प्रोटेम स्पीकर चुने हुए विधायकों में सबसे वरिष्ठ शख्स होता है। ऐसे में यह पद कांग्रेस के बाबासाहेब थोराट को मिल सकता है। हालांकि इसका पालन किया जाए यह जरूरी नहीं है। दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल स्पीकर का चुनाव करता है।
बहुमत के जुगाड़ में जुटी बीजेपी
बीजेपी एक तरफ कानूनी दांव-पेच पर विचार करने में जुटी है, दूसरी तरफ नितिन गडकरी, पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों से लेकर पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव और सांसदों की टीम को विधायकों से संपर्क के लिए मोर्चे पर लगाया गया है। इस बीच कानूनी विशेषज्ञ का कहना है कि आगे चलकर फ्लोर टेस्ट के दौरान भी विवाद पर मामला सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अजित पवार के विप को सिर्फ दो बिंदुओं पर कानूनी वैधता हासिल हो सकती है।
NCP ने सौंपी विधानसभा सचिवालय की चिट्ठी
इस बीच सूत्रों के अनुसार, एनसीपी ने जयंत पाटिल के विधायक दल के नेता वाली चिट्ठी विधानसभा सचिवालय को दी है। माना जा रहा है कि इससे अजित पवार को झटका लग सकता है क्योंकि बीजेपी अभी तक अजित को ही एनसीपी विधायक दल का नेता बता रही है।
संवैधानिक मामलों के जानकार व सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने कहा, ‘फ्लोर टेस्ट के दौरान यदि अजित पवार और जयंत पाटिल (नए विधायक दल नेता) दोनों ने विप जारी कर दिया तो बहुमत की संख्या में विवाद के साथ दलबदल का मामला भी बनेगा। उस स्थिति में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। बहुमत, स्पीकर का चुनाव और दलबदल जैसे मामलों पर विवाद की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट में अगले राउंड में फिर से मामला आ सकता है।’
विराग गुप्ता ने आगे कहा, ‘अजित पवार के विप को दो बिंदुओं पर वैधता मिल सकती है। मसलन, शरद पवार ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटाया है, मगर पार्टी से नहीं हटाया है। दूसरी तरफ तीन दलों द्वारा जिस महाविकास अघाडी गठबंधन की सरकार बनाने की बात की जा रही है, उसके नेता के बारे में औपचारिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट को नहीं बताया गया।’
…तो 53 विधायकों के वोट हो जाएंगे निरस्त और बीजेपी को बढ़त
एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं। अगर स्पीकर ने अजित पवार का विप माना तो फिर उनके फैसले के खिलाफ जाने वाले 53 अन्य विधायकों के वोट निरस्त हो जाएंगे। इससे बहुमत के लिए आंकड़ा 118 रह जाएगा। इतने विधायकों का बंदोबस्त फिलहाल बीजेपी के पास है। बीजेपी के पास अपने 105 और 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया गया है। देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पिछले दिनों हुई बैठक में 118 विधायक मौजूद रहे हैं।
जानें, महाराष्ट्र में किसे कितनी सीट
पार्टी | सीटें |
भारतीय जनता पार्टी | 105 |
शिवसेना | 56 |
कांग्रेस | 44 |
एनसीपी | 54 |
एआईएमआईएम | 2 |
बहुजन विकास आघाडी | 3 |
सीपीआई (एम) | 1 |
निर्दलीय | 13 |
जन सुराज्य शक्ति | 1 |
क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी | 1 |
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना | 1 |
पीडब्ल्यूपीआई | 1 |
प्राहर जनशक्ति पार्टी | 2 |
राष्ट्रीय समाज पक्ष | 1 |
समाजवादी पार्टी | 2 |
स्वाभिमानी पक्ष | 1 |
कुल | 288 |
‘विधायक दल के नेता के तौर पर अजित ने दिया समर्थन’बीजेपी के नेताओं का मानना है कि शपथ से पहले अजित पवार ने विधायक दल के नेता की हैसियत से समर्थन पत्र दिया था, इस नाते कानूनी पेच नहीं फंसता। महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई, पर क्या स्थिर रह पाएगी, इस सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, ‘अजित पवार विधायक दल के नेता की हैसियत से बीजेपी को समर्थन दिए, जिससे बीजेपी के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, कहीं कोई रोड़ा नहीं है। सदन में पार्टी बहुमत साबित करके रहेगी।’
महाराष्ट्र में भी ‘कर्नाटक मॉडल’ पर चलेगी बीजेपी? इसके अलावा एक और थिअरी चल रही है कि बीजेपी महाराष्ट्र में भी कर्नाटक मॉडल पर सत्ता की राह तय कर सकती है। सूत्र बता रहे हैं कि दलबदल कानून से बचने के लिए किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का टूटना जरूरी है। ऐसे में तीनों दलों के कई विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बीजेपी बहुमत के आंकड़े को इतना करीब लाना चाहेगी, जहां तक वह पहुंच सके। हालांकि यह आसान नहीं है।
बता दें कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की अगुआई वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान 19 विधायक गैरहाजिर रहे थे। बाद में कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार ने जुलाई में हुए विश्वासमत के पहले ही कांग्रेस और जेडीएस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
Source: National