अनुभवी ऋद्धिमान साहा की चोट से वापसी के बाद वह टेस्ट टीम की अंतिम एकादश में जगह नहीं बना सके। सीमित ओवरों के प्रारूप में भी उनका बल्ला नहीं चल रहा और उन्होंने विकेट के पीछे भी लचर प्रदर्शन किया। टीम के दिग्गज बल्लेबाज रोहित शर्मा ने उनके आलोचकों से आग्रह किया कि वे उन्हें अकेला छोड़ दें और उन्हें खुलकर खेलने दें, जबकि महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर का कहना है कि जब भी वह भारत के लिए खेलेंगे तो दबाव होना तय है।
एमएसके प्रसाद ने कहा, ‘मैं रोहित और सुनील सर की बातों से सहमत हूं। ऋषभ बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें लय में लौटने के लिए कुछ अच्छी पारियों की जरूरत है। टीम प्रबंधन से मेरी चर्चा हुई है और उन्होंने कहा कि वे पंत से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लेने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘जहां तक दबाव की बात है तो पंत को निश्चित रूप से यह पता होना चाहिए कि खेल के इस स्तर पर दबाव रहता है और जो इस दबाव को झेल लेता है वही वास्तविक चैंपियन बनता है। उनके सामने विराट और रोहित जैसे खिलाड़ियों का उदाहरण है।’
प्रसाद 2016 में भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता बने थे। उन्होंने कहा कि पंत को कभी भी धोनी का उत्तराधिकारी बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पंत को यह भी अहसास होना चाहिए कि उनकी अपनी पहचान है और उन्हें कभी भी एमएसडी (धोनी) से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि उनके दिमाग कुछ ऐसा ही चल रहा है। एमएसडी ने लगभग डेढ़ दशक तक खेलकर अपनी यह छवि बनाई। उनका आत्मविश्वास घरेलू और अंतरारष्ट्रीय दोनों स्तरों पर उनके शानदार प्रदर्शन से उपजा है।’
भारत के लिए 6 टेस्ट और 17 एकदिवसीय खेलने वाले इस 44 वर्षीय पूर्व विकेटकीपर ने कहा, ‘जब कोई किसी महान व्यक्ति से अपनी तुलना करने लगता है तो वह खुद पर गैरजरूरी दबाव डालता है। निजी तौर पर मुझे लगता है कि पंत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं। उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास होना चाहिए।’
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