बोर्ड ने हालांकि ना तो औपचारिक रूप से इन स्कोररों को सूचित किया है और ना ही कोई आधिकारिक बयान जारी किया, लेकिन इस सीजन में उन्हें एक भी मैच नहीं दिया गया। कुछ मामलों में तो अंतिम समय में इन मैच स्कोररों को वापस बुला लिया गया।
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बीसीसीआई के पैनल में शामिल स्कोररों ने बोर्ड अध्यक्ष को लिखा है। पत्र में लिखा गया है, ‘ऐसी घोषणा ‘आगामी सीजन आपका अंतिम सीजन होगा’ करने से इन स्कोररों को स्वीकार करना सही रहेगा। इसके बावजूद यह चौंकाने वाली खबर है।’ गांगुली ने हालांकि इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
मैच रेफरी से बराबरी कैसेऐसा माना जा रहा है कि बीसीसीआई ने 60 साल की उम्र को मानते हुए अंपायरों और मैच रेफरी के साथ स्कोररों की बराबरी कर ली है। एक स्कोरर ने गोपनीयता की शर्त पर टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हम बीसीसीआई के साथ नौकरी नहीं कर रहे हैं, तो हम कैसे रिटायर हो सकते हैं? फिर, अंपायर और मैच रेफरी बहुत ज्यादा मैच फीस और पेंशन हासिल करते हैं, जबकि हमारे पास ऐसा कोई लाभ नहीं है।’
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’50 रुपये प्रतिदिन से शुरू किया’एक स्कोरर ने कहा, ‘हम जुनून से इस काम को करते थे। हमने प्रतिदिन 50 रुपये से शुरू किया था। हालांकि हमारे पास रोजगार था लेकिन इसके लिए हमें काफी कुछ छोड़ना पड़ा। कई स्कोरर ने अपनी नौकरियों में पदोन्नति छोड़ी, क्योंकि वे अपने केंद्रों में स्कोरिंग जारी रखना चाहते थे।’
फिट हैं तो काम कर सकते हैंएक और अहम बात यह है कि किसी भी अन्य क्रिकेट देश में स्कोरर के लिए ऊपरी आयु सीमा नहीं है। इस साल इंग्लैंड में विश्व कप फाइनल के दौरान स्कोरर में से एक ने कहा, ‘वास्तव में, कई जगहों पर लोग अपने सक्रिय पेशेवर करियर से रिटायर होने के बाद एक गंभीर पेशे के रूप में स्कोरिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी आंखें ठीक हैं और हम फिट हैं, तब तक कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’
Source: Sports