राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने कहा, ‘स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए विभाग द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। उसी के तहत पात्रता परीक्षा हुई और 84 शिक्षकों ने इन परीक्षाओं में 33 फीसदी से कम अंक पाए। इनमें से 16 शिक्षकों को आवश्यक सेवानिवृत्ति के आदेश दिए गए हैं। शेष पर कार्रवाई जारी है।’ गौरतलब है कि राज्य के उन स्कूलों के शिक्षकों की पात्रता परीक्षा आयेाजित की गई, जहां के नतीजे 30 फीसदी तक आए थे।
ऐसे शिक्षकों की पात्रता परीक्षा जून में ली गई थी, जिसमें 5891 शिक्षकों ने परीक्षा दी थी, जिसमें से 1351 फेल हुए। इन शिक्षकों ने परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक पाए थे। उसके बाद शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर 14 अक्टूबर को फिर से परीक्षा ली। बाद में पास होने के लिए 33 फीसदी अंक लाने की बाध्यता रखी गई। दूसरी बार में भी 84 शिक्षक 33 फीसदी से कम अंक ही हासिल किए और फेल हो गए। इन शिक्षकों ने पुस्तक के साथ परीक्षा दी थी।
शिक्षा मंत्री डॉ. चौधरी के अनुसार, इनमें से 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। अनुत्तीर्ण हुए 26 शिक्षकों को चेतावनी देते हुए हाई और हायर सेकण्डरी स्कूल से पदावनत करते हुए प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में भेजने की कार्यवाही की गई है। उन्होंने कहा, ‘जिन शिक्षकों अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई, उन्हें 20 साल की सेवा और 50 वर्ष की आयु के फॉर्म्युले के आधार पर दी गई है। 20 साल की नौकरी या 50 की उम्र के फार्म्युले से आने वाले 20 शिक्षकों की विभागीय जांच शुरू हो चुकी है। आदिम जाति कल्याण विभाग के 20 शिक्षकों की जांच संबंधित विभाग द्वारा की जा रही है। फेल हुए शिक्षकों में दो के दस्तावेजों की जांच स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा है। विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों को आवश्यक सेवानिवृत्ति दी गई है, उनकों तीन माह का अग्रिम वेतन दिया जाएगा।’
जिन शिक्षकों को सेवानिवृत्ति दी गई है, वे रायसेन, सिंगरौली, भोपाल, रीवा, शहडोल, सतना, उमरिया, अनूपपुर और गुना से संबंधित है। शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई पर राज्य शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश यादव ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘पहले शिक्षा की दुर्गति करने वाले अधिकारियों की परीक्षा ली जाए और जिम्मेदारी तय हो फिर शिक्षकों पर कार्यवाही करें।’
Source: Madhyapradesh