साल 2019 इतिहास में दूसरे या तीसरे सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज हो सकता है। विश्व मौसम संगठन ने मैड्रिड में पर कॉन्फ्रेंस में अपनी रिपोर्ट में यह बात कही। स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट पर अपने औपचारिक बयान में विश्व मौसम संगठन ने यह आशंका व्यक्त की है। इसके साथ ही सयुक्त राष्ट्र ने इस सम्मेलन में यह भी कहा कि मौजूदा दशक पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म दशक होगा।
रिपोर्ट में दिल्ली में 48° सेल्सियस रेकॉर्ड तापमान का भी जिक्र
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि अभी तक इस वर्ष वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर है। प्रॉविजनल रिपोर्ट में भारत में सर्वाधिक रेकॉर्ड तापमान वाले दिनों का भी जिक्र किया गया। दिल्ली के इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर 10 जून को रेकॉर्ड 48° सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस रिपोर्ट में विशेष तौर पर दुनियाभर के कई शहरों मे रेकॉर्ड अधिकतम तापमान रेकॉर्ड किए दिनों को शामिल किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि यह साल इतिहास के सबसे गर्म सालों में दर्ज हो सकता है।
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ज्यादातर देशों के औसत तापमान में वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार 2019 में (जनवरी से अक्टूबर) तक पूर्व औद्योगिक औसत से 1.1° सेल्सियस तक दर्ज किया गया है। हालांकि, यह औसत 2016 से कम है। 2015 से 2019 के दौर और 2010 से 2019 के दौर के अध्ययन के अनुसार ज्यादातर देशों के औसत तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। 2010 से लेकर इस साल तक में 2016 ही सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज हुआ है। 2019 का साल विश्व के कई देशों में पड़ी रेकॉर्ड गर्मी और औसत तापमान में वृद्धि के लिए भी दर्ज किया जाएगा।
कई देशों में पड़ी रेकॉर्ड गर्मी
इस साल विश्व के कई देशों में भयानक गर्मी पड़ी और लू से कई लोगों की मौत भी हुई। फ्रांस में 28 जून को तापमान 46°C तक पहुंच गया। यह औसत से लगभग 2°C तक अधिक था। जर्मनी में भी इस साल गर्मी ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए और तापमान बढ़कर (42.6°C) तक रेकॉर्ड किया गया। नीदरलैंड्स में भी रेकॉर्ड 41°C),बेल्जियम में 42°C और लक्जमबर्ग में लगभग 41°C तक तापमान दर्ज किया गया।
Source: International