उत्तर कोरिया ने एक बार फिर दोहराया है कि अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के पास परमाणु वार्ता के लिए समय कम होता जा रहा है। इसने कहा कि यह पूरी तरह से अमेरिका के कदम पर निर्भर करेगा कि उसे क्रिसमस पर हमसे क्या गिफ्ट मिलता है। उत्तर कोरिया अमेरिका पर लगातार दबाव बना रहा है, क्योंकि किम जॉन्ग के पारस्परिक रूप से सहमत डील के ऑफर की डेडलाइन साल के अंत में समाप्त हो रही है।
बता दें कि उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच फरवरी में वार्ता के बीच परमाणु डील पर कोई प्रगति नहीं हुई है। अमेरिका ने उत्तर कोरिया की उस मांग को मानने से इनकार कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि इसके परमाणु कार्य को आंशिक रूप से बंद कर देने के एवज में उसे प्रतिबंध में व्यापक छूट मिले।
इसी साल अक्टूबर में दोनों के बीच स्वीडन में वर्किंग-लेवल की वार्ता हुई, जिसे उत्तर कोरिया ने अमेरिका का पुराना रुख करार दिया। अमेरिकी मामलों को देखने वाले उप विदेश मंत्री रि थाइ सॉन्ग अमेरिका पर आरोप लगाया कि यह समय लेने के लिए बातचीत का ऑफर दे रहा है लेकिन इसके पास कोई समाधान नहीं है।
सरकारी मीडिया के मुताबिक, री ने पहले भी दोहराया था कि जब तक कुछ ठोस हासिल नहीं होता, उनका देश परमाणु कूटनीति नहीं करना चाहता। वहीं, किम ने कहा है कि वह नया रास्ता तलाशना चाहेंगे अगर अमेरिका प्रतिबंध और दबाव को जारी रखता है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया ने हाल के महीनों में नए सॉलिड ईंधन वाले मिसाइल सिस्टम की सीरिज को टेस्ट किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सोल ने जापान और साउथ कोरिया तक हमला कर सकने की अपनी क्षमता को बढ़ाया है। इसने धमकी दी है कि वह अपने परमाणु और लंबी दूरी के मिसाइल टेस्ट पर लगा स्व-प्रतिबंध हटा लेगा और जापान पर हमला शुरू करेगा।
2018 में दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक मुलाकात की थी जिसके बाद उन्होंने अपने व्यक्तिगत रिश्ते को अच्छा करार दिया था, लेकिन इससे पहले दोनों देशों एक दूसरे के लिए उकसाहट भरा बयान देते आए हैं। इसकी वजह उत्तर कोरिया द्वारा जुलाई 2017 में पहले इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल को टेस्ट किया था। किम ने इस मिसाइल को अमेरिका के लिए ‘पैकेज ऑफ गिफ्ट’ करार दिया था।
Source: International