इंग्लैंड के खिलाफ 1982 में ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर भारत का स्कोर 5 विकेट पर 136 रन था। इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाए थे। भारतीय टीम पहला टेस्ट मैच हार चुकी थी। भारतीय टीम पर दूसरे टेस्ट में हार का खतरा मंडरा रहा था। ऐसे में ने 129 रनों की धमाकेदार पारी खेली। पाटिल ने अपनी पारी में 18 चौके और 2 छक्के लगाए। इन 18 चौकों में से 6 उन्होंने तेज गेंदबाज के ही एक ओवर में लगाए थे।
पाटिल अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में वह भारतीय मध्यक्रम का अहम हिस्सा थे।
ओवर की पहली गेंद ऑफ स्टंप के बाहर शॉट थी जिस पर पाटिल ने एक्स्ट्रा कवर बाउंड्री की ओर शानदार शॉट लगाया। अगली गेंद शॉट थी, पाटिल पीछे हटे और गेंदबाज के सिर के ऊपर से टेनिस के फोरहैंड जैसा शॉट जड़ा। तीसरी गेंद नो बॉल थी इस पर भी बैकफुट पंच जड़कर पाटिल ने एक और चौका हासिल किया।
चौथी गेंद उन्होंने पॉइंट के पीछे कट कर दी। अब वह चार गेंदों पर चार चौके लगा चुके थे। गली फील्डर के पास से गेंद को कटकर उन्होंने अपना शतक पूरा किया। विलिस ने शॉर्ट बॉल से पाटिल को चकमा देने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उसे हुक कर ओवर का छठा चौका जड़ा।
पाटिल ने कपिल देव के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 96 रनों की साझेदारी की। कपिल ने 55 गेंदों पर 9 चौकों और एक छक्के की मदद से 65 रन बनाए। इसके बाद 8वें विकेट के लिए मदन लाल के साथ मिलकर 97 रन जोड़े। मदन लाल ने 26 रनों का योगदान दिया। भारत ने अपनी पारी में 8 विकेट पर 379 रन बनाए। मैच के पांचवें दिन कोई खेल नहीं हो पाया। और मैच ड्रॉ रहा।
इससे पहले इंग्लैंड ने डेविड गावर 128 और जैफ मिलर के 98 रनों की बदौलत 425 रन बनाए। सलामी बल्लेबाज जैफ कुक ने 66 और क्रिक टेवर ने 57 रनों की पारियां खेलीं। भारत की ओर से दिलीप दोशी ने 6 और मदन लाल ने तीन विकेट लिए थे।
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