'बहुत मुश्किल है निर्भया के दोषियों को राहत'

नई दिल्ली
देश में रेप और हत्या की एक के बाद एक घटना सामने आ रही है और आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातर वृद्धि ही होती जा रही है। ने भी कहा कि नाबालिगों के साथ ऐसे अपराध करने वालों को का अधिकार ही नहीं होना चाहिए। वकीलों के मुताबिक 2012 के निर्भया गैंगरेप के आरोपियों में किसी की भी दया याचिका स्वीकार की जानी बहुत ही मुश्किल है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति से सिफारिश की है कि विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी जाए। विनय 23 साल की स्टूडेंट के साथ निर्दयता करने वालों में से एक है जिसे फांसी की सजा सुनाई गई है।

वरिष्ठ ऐडवोकेट विकास पहवा ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति की तरफ से दोषियों को कोई भी राहत मिलनी बहुत मुश्किल है। राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करने या स्वीका करने के बारे में बिना किसी राजनीतिक दखल के स्वतंत्र तरीके से विचार करेंगे। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि राष्ट्रपति ने पहले ही इंगित कर दिया है कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वालों को दया याचिका का अधिकार ही नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर राष्ट्रपति इनकार करते हैं दोषियों को सजा दे दी जाएगी।’

पहवा ने कहा कि दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला अलग-अलग केस के मामले में अलग हो सकता है। हालांकि निर्भया मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी थी और फांसी की सजा को बरकरार रखा था। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि राष्ट्रपति दोषियों की दया याचिका को स्वीकार करेंगे। लेकिन किसी तरह का राजनीतिक दखल नहीं होना चाहिए ताकि राष्ट्रपति तथ्यों के आधार पर फैसला कर सकें।’

सात साल पहले 16 दिसंबर की रात में पैरामेडिकल स्टूडेंट को गैंगरेप के बाद बड़ी निर्दयता से मार दिया गया था। इसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए। निर्भया के दोषियों की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश उस वक्त पर की गई है जब हैदराबाद में भी 25 साल की पशु चिकित्सक को गैंगरेप के बाद मार दिया गया। राजस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा था कि देश में बेटियों के साथ होने वाले अपराध हिलाकर रख देने वाले हैं। उन्होंने कहा था, ‘हम और आपको मिलकर बच्चों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करनी होगी। मेरा मानना है कि पॉक्सो ऐक्ट के मामले में दिए जाने वाले दया याचिका के अधिकार को खत्म कर देना चाहिए। उन्हें किसी अधिकार की जरूरत नहीं है।’

Source: National