गरीबों से कहीं तेज अमीरों की अमीरी की रफ्तार

नई दिल्ली
यह खबर बेशक अच्छी है कि 2019 में मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार आया है, लेकिन बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि भारत ने महज एक स्थान की छलांग लगाई है। 2019 UNDP ह्यूमन डिवेलपमेंट इंडेक्स(HDI) की रिपोर्ट के मुताबिक, 189 देशों में भारत की रैंकिंग 129 हो गई है, जो पहले 130 थी। साफ है कि सुधार की गति बहुत धीमी है और गरीबी और अमीरी के बीच की खाई कम नहीं हो रही।

धीमा विकासयूएनडीपी की भारत में स्थानीय प्रतिनिधि शोको नोडा ने कहा कि भारत में 2005-06 से 2015-16 के बीच 27.1 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया, यानी इस दौरान गरीबों की संख्या घटी है। इस रिपोर्ट में आर्थिक प्रगति के फायदे कंप्यूटर ऐक्सेस की व्यापकता बढ़ने जैसी बातों पर आधारित है। इस आधार पर प्रगति को देखा जाए तो जाहिर है कि गरीबों की अपेक्षा अमीर और तेजी से और अमीर होते जा रहे हैं।

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आय की असमानता
भारतीय 1922 से टैक्स अदा कर रहे हैं फिर भी भारत ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा आय असमानता है। देश की आबादी का 1 फीसदी हिस्सा ऐसा है, जो देश की कुल आय के 20% का मालिक है। टॉप 10 फीसदी लोगों के पास कुल आय का 55% हिस्सा है। 1980 से लेकर अब तक आय की असमानता की खाई लगातार गहरी हुई है। इस अवधि में असमानता 25% की दर से बढ़ी है, जो कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी ज्यादा है।

गरीब और ज्यादा गरीब
BRIC(ब्राजील, रूस, चीन और भारत) देशों की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में आय की ग्रोथ काफी धीमी गति से हुई है। 2000 से 2018 के बीच जनसंख्या के 40% के निचले आय वर्ग की आय औसत ग्रोथ के मुकाबले आधी दर से बढ़ी। पिछले 12 वर्षों में यह अब भी औसत से दो तिहाई कम के लेवल पर है। चीन की बात करें तो इस दौरान देश में अत्यधिक गरीब जनसंख्या की आय में 135% की बढ़त दर्ज दुई, जबकि सबसे अमीर लोगों की आय सिर्फ 117% की दर से बढ़ी।

Source: National