पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब जिस गठबंधन की सरकार चलाते हैं उसके अनुसार ही बात करते हैं. शुक्रवार को नीतीश कुमार ने एक सार्वजनिक मंच से कहा कि वो गांधी, लोहिया और जेपी के विचारों में विश्वास और अनुसरण करते हैं ना कि नेहरु के. नीतीश कुमार शुक्रवार को पटना में एक सरकारी कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां भवन निर्माण विभाग में नव नियुक्त अभियंताओं को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा था. नीतीश पटना के बेली रोड की चर्चा करते हुए कहा कि इस सड़क का नाम नेहरु मार्ग रखा गया, लेकिन उन्हें दिक्कत है कि नाम रखने वालों ने इसका प्रचार प्रसार नहीं किया, जिसके कारण लोग बेली रोड के नाम से जाना जाता हैं. हालांकि, वो नेहरु के अनुयायी नहीं रहे क्योंकि वो गांधी के विचार और उनके बताए रास्ते या लोहिया और जेपी के विचारधारा में विश्वास करते हैं.
हालांकि, नीतीश ने कहा कि नेहरुजी की देश की आज़ादी में एक भूमिका रही है. नीतीश कुमार के इस बयान को उनके महागठबंधन के समय के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जब उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए आरएसएस मुक्त भारत बनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन बाद के दिनों में उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बना लिया.
इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सुशील मोदी और नंद किशोर यादव भी मौजूद थे. उनके सामने नीतीश ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग के रखरखाव PR 970 करोड़ के खर्चे का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र में कोई सरकार हो, लेकिन राज्य सरकार जब इस पैसे की मांग करती हैं, तो सब हंसकर टाल देते हैं.
नीतीश का इशारा निश्चित रूप से भाजपा के मंत्रियों पर था कि वो भी इस पैसे को राज्य सरकार को वापस कराने में विफल रहे.