रायपुर-महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू आज यहाँ महानदी भवन मंत्रालय में आयोजित राज्य प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा परिषद् की बैठक में शामिल हुईं. इस बैठक में छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा नीति के तहत संचालित ‘संस्कार अभियान’ और राज्य प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा परिषद् के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.रमशीला साहू ने बैठक में छत्तीसगढ़ में संचालित संस्कार योजना की खूबियाँ बताते हुए कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है. आंगनबाड़ी केन्द्रों को बच्चों के सर्वांगीण विकास के केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मार्च 2017 में संस्कार अभियान की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा आंगनबाड़ी केन्द्रों में शून्य से लेकर 06 वर्ष तक के बच्चों को लाभान्वित किया जाता है और इसी आयु में बच्चों के मस्तिष्क विकास की दर सबसे तेज होती है .विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध एवं अध्ययन से पता चला है कि मानव मस्तिष्क का लगभग 90 प्रतिशत विकास जीवन के प्रारंभिक 6 वर्ष में होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संस्कार अभियान में गर्भावस्था से लेकर 06 वर्ष तक के आयु वर्ग को शामिल किया गया है .इस अभियान के तहत क्षमता विकास, संसाधन सामग्री का विकास ,वातावरण निर्माण ,अनुश्रवण तंत्र और गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदाय सम्बन्धी घटकों को शामिल किया गया है. अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों के आकर्षक रंग – रोगन ,बच्चों के बैठने की अच्छी व्यवस्था ,मनोरंजक और खेल गतिविधियों के लिए समुचित स्थान जहाँ बच्चों को खेल- खेल में शिक्षित किया जा सके . इसके लिए विभाग द्वारा संसाधन सामग्री भी तैयार की गई है जिसमें प्राम्भिक बाल्यावस्था देख रेख और शिक्षा प्रदान करने के लिए 52 सप्ताह की समय-सारणी , बच्चों की आयु के अनुसार 360 गतिविधियों का गतिविधि कोषव् गतिविधि पुस्तिका और आंकलन पुस्तिका शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अभियान के तहत अब तक 1600 से अधिक जिला स्तरीय अधिकारियों, परियोजना अधिकारियों और पर्यवेक्षकों और पचास हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. संस्कार अभियान को इस प्रकार परिकल्पित किया गया है जिसमें प्रत्येक बच्चा उनका परिवार ,और शाला पूर्व शिक्षा से जुड़ा हर व्यक्ति बाल्यावस्था के आनंद को प्राप्त कर सके. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व और प्रसन्नता होती है जब उन्हें पता लगता है कि है कि अब आंगनबाड़ी में बच्चे आनंदपूर्वक रहते हैं और घर जाने की जिद नहीं करते. कार्यशाला में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने भी अपने सुझाव दिए |
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव डॉ एम् गीता ने राज्य प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा परिषद् की आवश्यकता ,कार्यप्रणाली और उद्देश्य पर आधारित प्रस्तुतिकरण दिया. शिक्षा विभाग के सचिव ने इस अभियान के तहत संसाधन विकसित करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर प्रयास करने की बात कही. बैठक में राज्य प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा परिषद् की सामान्य परिषद् और कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्यों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए.