नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के दो वर्ष पूरे होने पर इसकी उपलब्धियां गिनाई हैं, तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इसके दिन-ब-दिन इसके दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। जेटली ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि नगदी प्रधान भारत को डिजिटाइजेशन की ओर लाने के लिए सिस्टम को झकझरोना जरूरी था। जेटली ने ब्लैक मनी पर कार्रवाई से लेकर डिजिटल ट्रांजैक्शन एवं टैक्स कलेक्शन में वृद्धि तक, नोटबंदी की कई उपलब्धियां गिनाईं। वहीं, मनमोहन ने कहा कि कहा जाता है कि वक्त के साथ-साथ घाव भर जाते हैं, लेकिन नोटबंदी के मामले में उलटा हो रहा है।
जेटली के मुताबिक, भारत एक नगदी प्रधान देश था। नकदी लेनदेन में शामिल विभिन्न पक्षों की पहचान का पता नहीं चल पाता है। कैश ट्रांजैक्शन बैंकिंग सिस्टम को धता बताता है जिससे टैक्स चोरी को बढ़ावा मिलता है। नोटबंदी ने लोगों को खुद के पास रखे नोट बैंकों में जमा कराने को मजबूर किया। भारी मात्रा में कैश जमा करानेवालों से पूछताछ के बाद 17 लाख 42 हजार संदिग्ध खाताधारकों की पहचान हुई। उन पर दंडात्मक कार्रवाइयां हुई हैं। उधर, बैंकों में आई नोटों की बाढ़ से उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ी। कई लोगों ने पैसे निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड का सहारा लिया। यह रकम भी फॉर्मल सिस्टम की हिस्सा हो गई।
इधर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बयान जारी कर कहा कि समय बीतने के साथ-साथ नोटबंदी के और ज्यादा नकारात्मक असर सामने आ रहे हैं। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि नोटबंदी से हर व्यक्ति परेशान रहा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, उम्र अथवा पेशे का हो। उन्होंने कहा कि समय के साथ घाव भर जाते हैं, लेकिन नोटबंदी का घाव समय के साथ-साथ बढ़ता ही जा रहा है।