बगलामुखी जयंती: ऐसे करें उपासना, शत्रु बाधा से मिलेगी मुक्ति

दस महाविद्या में आठवीं स्वरूप देवी बंगलामुखी का है. माता बंगलामुखी पीली आभा से युक्त हैं इसलिए इन्हें पीताम्बरा कहा जाता है. बंगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है. बंगलामुखी जयंती 23 अप्रैल 2018 (सोमवार) को है. इनका प्राकट्य स्थान गुजरात का सौराष्ट्र में माना जाता है. मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. माता बंगलामुखी की पूजा तंत्र विधि की पूजा होती है. इसलिए इनकी पूजा बिना किसी गुरु के निर्देशन में नहीं करनी चाहिए.

बंगलामुखी पूजा के नियम और सावधानियां

शास्त्रों के अनुसार माँ बंगलामुखी की पूजा शत्रु के नाश के लिए नहीं करनी चाहिए.

बंगलामुखी की पूजा में पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले भोग का प्रयोग करना चाहिए.

माँ बंगलामुखी के मंत्र जाप के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करना चाहिए.

इनकी पूजा के लिए उपयुक्त समय संध्याकाल या मध्यरात्रि मानी गई है.

बगलामुखी जयंती के दिन माँ बगलामुखी को दो गाँठ हल्दी अर्पित करें.माँ से शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें. एक हल्दी की गाँठ अपने पास रख लें.

दूसरी गाँठ को जल में प्रवाहित कर दें.ऐसा करने से हर प्रकार के शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है.