अदाणी फाउंडेशन एवं महिला शक्ति मब्स के सहयोग से परसा ग्राम छत्तीसगढ़ का पहला जैविक ग्राम बनने की राह पर

अम्बिकापुर: ग्राम पंचायत परसा के किसानों के लिए जैविक खाद की आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से अदाणी फाउंडेशन के साथ मिलकर महिला सहकारी समिति (मब्स) ने, वर्मीकम्पोस्ट की आपूर्ति को सुनिश्चित किया है। इसकी मदद से स्थानीय किसान एसआरआई विधि के जरिए करीब 200 एकड़ भूमि पर जैविक कृषि को बढ़ावा दे सकेंगे। खास बात यह है कि मब्स से जुड़ी महिलाएं वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए लगने वाली पत्तियों के संग्रह का कार्य भी कर रही हैं। वहीं अदाणी फाउंडेशन इन महिलाओं को ट्रेनिंग देकर, किसानों के लिए वर्मीकम्पोस्ट की खपत व जरूरत को पूर्ण करने में सहयोग दे रहा है। गौरतलब है कि अदाणी इंटरप्राइजेज की मदद से 200 से अधिक किसानों तक वर्मीकम्पोस्ट पहुंचाया जा रहा है।

मॉडल ऑर्गेनिक फार्म, ग्राम पंचायत परसा के संयोजक श्री दिनेश कुमार यादव के मुताबिक, “अब तक लगभग 20 टन वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है और अगले महीने तक 40 टन उत्पादन होने की उम्मीद है। वह बताते हैं कि मब्स और अदाणी फाउंडेशन की पहल से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी खुले हैं साथ ही जैविक खाद्य पदार्थों के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है।”

उल्लेखनीय है कि मब्स ने जैविक खाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्मीकम्पोस्ट के व्यावसायिक उत्पादन की जिम्मेदारी ली है। इसने महिलाओं को नियमित रोजगार तो दिया ही है साथ ही इस उत्पादन इकाई से किसानों को स्थानीय स्तर पर खाद की आपूर्ति तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण युवाओं के लिए भी रोजगार के रास्ते खोले हैं। इसके अलावा, परसा ग्राम पंचायत स्तर पर जैविक कीटनाशक का भी उत्पादन मब्स द्वारा किया जा रहा है। मब्स द्वारा किये गये उत्पादन की खरीदारी स्थानीय किसान और अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड करेगी।

मब्स, अदाणी फाउंडेशन के निरंतर सहयोग से स्थापित एक स्वतंत्र समिति है जिससे जुड़ी 250 महिलाएँ अपने कौशल से विभिन्न आजीविका परियोजनाओं का संचालन करती हैं। सहकारी समिति के सदस्य सतत उत्पादन को भी बढ़ावा देते हैं और जिले के किसान क्लब द्वारा उगाये अनाज और सब्ज़ियों की उपभोगता भी बढ़ाते हैं जिससे जिले के किसानों को फसल पर निश्चित आमदनी होती है। स्कूल के लिए मिड-डे मील बनाने में मब्स की महिलाएँ इन अनाजों और सब्ज़ियों का इस्तेमाल करती हैं जिससे ग्रामीण भारत के छात्रों की पोषण-सम्बन्धी ज़रूरतें पूरी होती हैं।

बता दें कि वर्मीकम्पोस्ट को वर्मी कल्चर या केंचुआ पालन भी कहते हैं। केंचुओं के मल से तैयार खाद को ही वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता है। इस सब प्रकार के फसलों के लिए प्राकृतिक, सम्पूर्ण व संतुलित आहार माना जाता है।

अदाणी फाउंडेशन के बारे में:
1996 में स्थापित, अदाणी फाउंडेशन वर्तमान में 18 राज्यों में सक्रिय है, जिसमें देश भर के 2250 गाँव और कस्बे शामिल हैं। फाउंडेशन के पास प्रोफेशनल लोगों की टीम है, जो नवाचार, जन भागीदारी और सहयोग की भावना के साथ काम करती है। वार्षिक रूप से 3.2 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए अदाणी फाउंडेशन चार प्रमुख क्षेत्रों- शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, सतत आजीविका विकास और बुनियादी ढा़ंचे के विकास, पर ध्यान केंद्रित करने के साथ सामाजिक पूंजी बनाने की दिशा में काम करता है। अदाणी फाउंडेशन ग्रामीण और शहरी समुदायों के समावेशी विकास और टिकाऊ प्रगति के लिए कार्य करता है, और इस तरह, राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान देता है।