रायपुर – छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष राकेश साहू ने आज पत्रकार वार्ता की। उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव ने स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण छोटे-छोटे अल्प वेतनभोगी विभिन्न योजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों की मांगों को लंबे समय तक अनदेखा करना किसी भी सरकार के लिए नुकसान दायक है।
उन्होंने कहा कि सरकार के नुमाइंदे की ओर से कर्मचारियों से वार्ता न कर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय न कर हड़ताल को बढ़ावा देने वाले कार्यों से स्पष्ट है कि धीरे-धीरे कर्मचारियों का आक्रोश राज्य के पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को झेलना पड़ा।
छत्तसीगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ से संबंध संगठनों का समूह अखिल भारतीय छग कर्मचारी महासंघ की ओर से 29 जून 2018 से 2 अक्टूबर तक लगातार धरना-प्रदर्शन कर शासन का ध्यानाकृष्ट कराया गया। इस संबंध मे ज्ञापन भी सौंपा गया। 2 अक्टूबर 2018 को प्रांत स्तरीय सामूहिक उपवास में लगभग सवा लाख कर्मचारियों का जमावड़ा हुआ। संगठन की ओर से 36 संगठनों के कर्मचारियों का 52 सूत्रीय मांग पत्र वित्तीय गणना सहित तैयार किया गया। जिसमें 22 मांगों में व्यय भार नहीं है। ज्ञापन तैयार कर पूर्व मुख्यमंत्री को स्थानीय निकट के जनप्रतिनिधियों की ओर से चर्चा सौंपा गया। 2 अक्टूबर को गांधी जन्म दिवस पर सामूहिक उपावास में उन्हें आमंत्रित किया गया। किन्तु मुख्यमंत्री और कोई प्रतिनिधि उपवास में उपस्थित नहीं हुए। जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश उत्पन्न हुआ और कर्मचारियों के मन में यह बैठ गया कि इस सरकार में कर्मचारियों की सोई सुनवाई नहीं है और सत्ता परिवर्तन आवश्यक है। सभी संगठनों जिसमें छग राजद्य के नियमित और अनियमित कर्मचारी जिसकी संख्या प्रदेश में लगभग 12 लाख है। उनके परिवार को मिलाने पर 25 लाख की संख्या में है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपना आक्रोश दिखा और सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाया। र्वमान सरकार के जनप्रतिनिधियों की ओर से संगठन को आश्वस्त किया गया है कि उनकी मांगें शीघ्र ही पूरी की जाएगी।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष राकेश साहू और राष्ट्रीय उपाध्याक्ष ने कहा कि नई सरकार की ओर से किसानों का कर्जमाफी कर अपनी जनघोषणा पत्र पर अमल किया गया है। जिससे संगठन आशान्वित है कि मांगे शीघ्र पूरी होगी।