रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि खेती-किसानी की प्रगति के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को कृषि से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने आगामी 26 जनवरी को ग्राम पंचायतो में ग्राम सभाओं का आयोजन कर प्रत्येक गांव में पशुओं के लिए गौठान और चारागाह के लिए स्थान चिन्हित किया जाए। उन्होंने कहा कि मनरेगा के माध्यम से गौठानों और चारागाहों का विकास किया जाए, इससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सकेंगी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय आठवीं इंडियन हार्टिकल्चर कांग्रेस का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किये। मुख्यमंत्री ने कृषि उत्पादन आयुक्त को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ग्राम सभाओं का आयोजन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस पांच दिवसीय कांग्रेस का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा हार्टिकल्चर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इस अवसर पर विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा और सुश्री शकुंतला साहू, केन्द्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. व्ही.पाल शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री के.डी.पी. राव, हार्टिकल्चर सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पदमश्री सम्मानित डॉ. के.एल. चड्डा, मुख्यमंत्री के कृषि और ग्रामीण विकास सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ.एस.के. पाटिल भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ’ शेपिंग फ्यूचर ऑफ हार्टिकल्चर’ सहित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रकाशनों सहित कृषि विशेषज्ञों की पुस्तकों का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई के साधनों की कमी के साथ खुले में घूमते पशु हमारे कृषि क्षेत्र की बड़ी समस्या है। उन्होंने किसानों से पशुओं को बांधकर रखने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे खेतों की फैंसिंग का खर्च बचेगा, पशुओं का गोबर मिलेगा जिससे जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र लगाए जा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने जबलपुर में स्थित कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य निर्धारित करने क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रारंभ करने, लघु धान्य फसलों कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलों के समर्थन मूल्य घोषित करने तथा लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने की जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को समय-समय पर टमाटर, प्याज और आलू जैसे विभिन्न उद्यानिकी फसलों के सही मूल्य कई बार नही मिल पाते हैं। इसके लिए कृषि विशेषज्ञों को क्षेत्रवार कार्य योजना तैयार कर किसानों को फसल लगाने के संबंध में सलाह देनी चाहिए। श्री बघेल ने विशेषज्ञों से जलवायु परिवर्तन के विभिन्न फसलों पर प्रभाव का अध्ययन करने और फसलों के संरक्षण के लिए किसानांे को सलाह उपलब्ध करानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश कम होने से और विभिन्न कारणांे से भू-जल में खारापन आ रहा है। खारापन दूर करने के लिए भी अनुसंधान कर इसके लिए तकनीक विकसित की जानी चाहिए।
इस पांच दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के 800 से ज्यादा उद्यान वैज्ञानिक तथा बागवानी विशेषज्ञ शामिल हुए। इस दौरान फल, फूल, सब्जियों तथा अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन की नई तकनीकों तथा अनुसंधान एवं विकास पर विषय विशेषज्ञों द्वारा चर्चा तथा विमर्श किया जाएगा। इस दौरान विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों द्वारा विभिन्न उद्यानिकी फसलों पर हुए अनुसंधान एवं विकास कार्य पर केन्द्रित शोध पत्र भी प्रस्तुत किये जाएंगे। यहां बागवानी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों को सम्मानित भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय परिसर में कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण यंत्रों और कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थेे।