केन्द्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर कैग का बड़ा खुलासा
छत्तीसगढ़ में रमन घोटालों में नया अध्याय : वाणिज्यिक कर घोटाला
रायपुर, भाजपा की सरकारों की लगातार भ्रष्टाचार में संलिप्तता उजागर करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मोदी सरकार के भ्रष्टाचार को कैग ने पकड़ा है। सीएजी ने नरेन्द्र मोदी सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर बड़ा खुलासा किया है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने चार लाख करोड़ रू. से ज्यादा का खर्च और कर्ज यानी उधारी छिपाने का काम किया है। इस धनराशि का जिक्र बजहट के दस्तावेजों में नहीं है। माना जा रहा है कि राजकोषी घाटे के संकेतकों और आंकड़ों को दुरूस्त रखने के लिये सरकार ने ऑफ बजट फाइनेंसिंग की तरकीब का इस्तेमाल किया। खाद्यान्य और उर्वरकों पर सब्सिडी, सिंचाई ऊर्जा परियोजनाओं सहित अन्य तमाम पूंजीगत खर्चो को पूरा करने के लिये सरकार ने बजट से बाहर जाकर दूसरे सोर्स से पैसे की व्यवस्था की। ताकि बजट के लेखे-जोखे में उधारी न दिखे, इसके लिये उपभोक्ता, रेल और ऊर्जा मंत्रालय में खासतौर से ऑफ बजट फाइनेंसिंग सिस्टम अपनाया गया। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसको लेकर मोदी सरकार की जबर्दस्त खिंचाई की है।
केन्द्र सरकार के कार्यो पर कैग ने कहा है कि ऐसे खर्चो और उधारियों का जिक्र कायदे से बजट में होना चाहिये। क्योंकि ऑफ बजट फाइनेंसिंग से जुड़े संसद के नियंत्रण के बाहर होते है। जिस पर चर्चा और समीक्षा नहीं होती। वहीं बकाए के हर साल बढ़ने के चलते सरकार को अधिक ब्याज के रूप में सब्सिडी पर ज्यादा खर्च झेलना पड़ता है। यह तरकीब वित्तीय लिहाज से काफी जोखिमपूर्ण होती है। जब सार्वजनिक उपक्रम लोन चुकता करने में विफल होते हैं तो आखिर में देनदारी सरकार के सिर पर ही आती है।
केन्द्र सरकार के कार्यो पर कैग ने कहा है कि डिस्क्लोजर स्ट्रेटमेंट के जरिए ऑफ बजट फाइनेंसिंग की धनराशियों का खुलासा होना चाहिये। इसकी बड़े पैमाने पर समीक्षा की जरूरत है। इस बारे में जवाब तलब करने पर संबंधित मंत्रालयों ने जुलाई 2018 में बताया कि केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को स्वायत्ता है। उनकी उधारी स्वतंत्र व्यापार उपक्रमों के लिये होती है। जहां सरकारी समर्थन सिर्फ एक बेहतर ब्याज दर प्राप्त करने में मदद करता है। ऑफ बजट वित्तीय व्यवस्था एफसीआई की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिये है, जो बैंकिंग स्रोतों से स्वतंत्र रूप से मिल रहा है।
रमन सरकार के घोटालों में एक नया अध्याय, वाणिज्यिक कर आगत कर के रिफंड का घोटाला
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की समाप्ति वर्ष 31 मार्च 2017 के प्रतिवेदन (कैग रिपोर्ट) में वाणिज्यिक कर विभाग के माध्यम से तत्कालीन भाजपा सरकार (रमन सरकार) द्वारा चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने किया गया भ्रष्टाचार प्रमाणित है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन में संबंधित कैग रिपोर्ट वर्ष 2018 के प्रतिवेदन संख्या 4 के अध्याय 3 में वाणिज्यिक कर से संबंधित प्रतिवेदन है जिसमें पांच बिंदुओं पर त्रुटिपूर्ण गणना, गलत भुगतान और मालों के गलत वर्गीकरण में कुल लगभग 14.42 करोड़ की अनियमितता पाई गई है।
सीएजी द्वारा पाई गयी प्रमुख अनियमिततायें है-
1 4.19 करोड़ का आगत कर रिबेट (इनपुट टैक्स क्रेडित) त्रुटिपूर्ण अग्रगणित किया गया।
2 3.63 करोड़ का प्रतिदाय (रिफंड) गलत मान्य किया गया।
3 4.64 करोड़ का नुकसान मालों के गलत वर्गीकरण से
4 1.02 करोड़ का नुकसान विलंबित भुगतान पर ब्याज
5 93.91 लाख रिफंड आदेश पारित हो जाने के 60 दिन के बाद भी भुगतान नहीं होने पर ब्याज।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि प्रथम तीन बिंदुओं पर आपत्ति से स्पष्ट है कि किस प्रकार से बाकी विभागों की तरह ही वाणिज्यिक कर विभाग ने भी रमन सरकार ने वेट अधिनियम 2005 के प्रावधानों को ताक में रखकर बिना दस्तावेजों को मिलान किये अधिकारियों पर दबाव बनाकर कमीशनखोरी के चलते भाजपा सरकार द्वारा अपने लोगों को लाभ पहुंचाया गया है।