अयोध्या : अयोध्या के राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की है कि अयोध्या में विवादित भूमि को छोड़कर बाकी अधिगृहित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को लौटाई जाए.
आज सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस बोबडे के छुट्टी पर जाने की वजह से सुनवाई टल गई. बता दें कि जिस भूमि पर विवाद है वह जमीन दशमलव 313 एकड़ ही है. सरकार का कहना है कि इस जमीन को छोड़कर बाकी जमीन राम जन्मभूमि न्यास को सौंपी जाए.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही देरी पर संघ और हिंदू संगठनों के दबाव के बाद क्या यह सरकार का चुनाव से पहले नया ‘मंदिर प्लान’ है, इसको लेकर अटकलें लगने लगी हैं।
प्रयागराज कुंभ में कैबिनेट की बैठक कर रहे योगी आदित्यनाथ ने केंद्र के इस कदम को सद्भाव के लिए जरूरी करार दिया। खबर है कि अयोध्या विवाद में पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।
जमीन का विवाद
1993 में 67 एकड़ जमीन का सरकार ने अधिग्रहण किया था। विवादित जमीन के आसपास की जमीन का अधिग्रहण इसलिए किया गया था ताकि विवाद के निपटारे के बाद उस विवादित जमीन पर कब्जे या उपयोग में कोई बाधा नहीं हो। इसमे करीब 42 एकड़ की जमीन रामजन्म भूमि न्यास की है
-1994 में इस्माइल फारूकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन पर कोर्ट का फैसला आने के बाद गैर विवादित जमीन को उनके मूल मालिकों को वापिस लौटाने पर विचार कर सकती है
-1996 में सरकार ने रामजन्म भूमि न्यास की मांग ठुकरा दी। इसके बाद न्यास ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे कोर्ट ने 1997 में खारिज कर दिया।
-2002 में जब गैर-विवादित जमीन पर पूजा शुरू हो गई तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस याचिका पर सुनवाई के बाद 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने 67 एकड़ पूरी जमीन पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।
-2003 में असलम भूरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने अधिग्रहित जमीन वापसी पर पक्षकारों से अर्जी मांगी। राम जन्मभूमि न्यास ने अपनी गैरविवादित जमीन 42 एकड़ पर अपना मालिकाना हक हासिल करने के लिए सरकार से गुहार लगाई।
-2019 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास ने अपने हिस्से की गैर विवादित जमीन की मांग की है।