आलेख एवं फोटो : भावेश सिंह चौहान
होली खुशियों का त्योहार है किस दिन लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं मिठाइयां बांटते हैं और खुशियां मनाते हैं देश के प्रत्येक हिस्सों में इस त्यौहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है कोई होलिका दहन के दिन होली मनाता है कोई धुलेटी के दिन तो कोई रंग पंचमी के दिन देशभर में धूमधाम से मनाया जाने वाला यह त्यौहार होलिका दहन के साथ शुरू हो जाता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में इससे अलग अलग तरह से मनाया जाता है लेकिन ब्रज के बरसाना की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ब्रज में होली बसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है और महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधा रानी को छप्पन भोग का प्रसाद लगाया जाता है। विश्व प्रसिद्ध बरसाने की होली पूर्व ब्रज में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है इसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं इस दिन महिलाएं एकजुट होकर राधा रानी के मंदिर में झंडा फहराने की कोशिश में इकट्ठे हुए पुरुषों को लट से खदेड़ने का प्रयास करते हैं इस होली में पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती वह महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं इस दौरान यदि वह पकड़े गए तो उनकी जमकर पिटाई भी होती है।
एक मान्यता के अनुसार लट्ठमार होली का संबंध भी राधा-कृष्ण के प्रेम से ही है. पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरसाना में राधा रानी का जन्म हुआ था. ऐसी मान्यता है कि जब राधा और कृष्ण की दोस्ती हो गई तो श्रीकृष्ण, राधा से मिलने अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना आते थे. इस दौरान भगवान कृष्ण, गोपियों संग खूब होली खेलते थे और उन्हें परेशान करते थे, जिसके बाद राधा और उनकी सहेलियां उन्हें लाठियों से मारती थीं. तभी से लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है.
होली के मौके पर हर साल बरसाना में लट्ठमार होली खेलने की परंपरा को निभाया जाता है. लाठी और डंडे की मार से बचने के लिए नंदगांव के हुरियारे अपने साथ ढाल लेकर आते हैं और बरसाने की हुरियारनों की लाठी से बचते नजर आते हैं. इस दौरान चारों तरफ लाठियों के साथ ही रंग गुलाल भी जमकर उड़ता है और त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है.
आइए देखते हैं होली हमारे संग