छत्तीसगढ़ में बाल अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया सरपंचों का एक नेटवर्क

छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों को बाल हितैषी बनाने के उद्देश्य से सरपंचों ने मिलाया हाथ

सीजी-पंच नेटवर्क जल्द किया जाएगा लॉन्च

जगदलपुर/रायपुर : ग्राम पंचायतों को बाल हितैषी बनाने की अभिनव पहल करते हुए छत्तीसगढ़ में पंचायत राज संस्थाओं के सरपंचों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है. सीजी-पंच (छत्तीसगढ़ पंचायत नेटवर्क फॉर चिल्ड्रेन) नेटवर्क ग्राम पंचायतों में बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा में सुधार के लिए काम करेगा। सीजी-पंच नेटवर्क का उद्घाटन आज जगदलपुर में किया गया। यूनिसेफ द्वारा समर्थित, इस नेटवर्क के माध्यम से सरपंचों को बेहतर प्रदर्शन करने और अपनी ग्राम पंचायतों को बच्चों के अनुकूल बनाने के लिए क्षमता निर्माण करने में सहायता की जाएगी।

यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख श्री जॉब ज़करिया का कहना है कि संविधान के तहत सरपंच सरकार के तीसरे स्तर के प्रमुख हैं और वे बेहतर ज्ञान और क्षमता के साथ अपनी ग्राम पंचायतों में बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। इस नेटवर्क के माध्यम से सरपंचों को उनकी ग्राम पंचायतों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण का स्तर कम करने में, बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने मदद की जाएगी और साथ ही बाल विवाह-बाल श्रम को रोकने के लिए उन्मुख किया जाएगा
इस अवसर पर, बस्तर जिले के कलेक्टर श्री रजत बंसल ने कहा कि इस नेटवर्क के ज़रिये सरपंचों को ग्राम पंचायत की भूमिकाओं और शक्तियों को बेहतर ढंग से समझने, ग्राम पंचायत योजनाओं को विकसित करने और सरकारी योजनाओं और लक्ष्यों के बारे में जानने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, सरपंच इस नेटवर्क के माध्यम से अच्छी प्रथाओं और नवाचारों को साझा करेंगे, सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण और अनुसंधान करेंगे,और साथ ही बच्चों के अनुकूल स्थानीय प्रशासन पर क्रॉस-लर्निंग की सुविधा प्रदान करेंगे।

महिला सरपंचों और आदिवासी सरपंचों के लिए फोरम का गठन

श्री ज़करिया ने कहा कि कहा कि सीजी-पंच नेटवर्क के तहत, विशिष्ट मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ‘महिला सरपंचों’ और ‘आदिवासी सरपंचों’ के अलग-अलग फोरम गठित किये जाएंगे। छत्तीसगढ़ के 10,871 सरपंचों में से 5,461 (51%) महिलाएं हैं और 5,874 सरपंच (54%) अनुसूचित जाति समुदायों से हैं। छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 11,664 ग्राम पंचायतें हैं। कुल 11664 ग्राम पंचायतों में से, 13 जिलों की 5050 ग्राम पंचायतें (44%) संविधान की 5 वीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, जिसमें ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार प्राप्त हैं।

न्यूज़लेटर, व्हाट्सएप ग्रुप और लोगो
सरपंचों के गठबंधन का उद्देश्य पारंपरिक शिक्षण दृष्टिकोणों के बजाय ‘वृद्धिशील शिक्षण दृष्टिकोण’ (‘incremental learning approach’) के माध्यम से सदस्यों की क्षमता का विकास करना है। हर जिले में नेटवर्क के लोगो, फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप होंगे, जिन पर ‘जानबो अप्पन योजना’ (हमारी योजना जानें), ‘मोला देखल एहन पंचायत’ (परिवर्तन की कहानियां), ‘मोर कहानी-मोर जुबानी’ (अनुभव) पर कॉलम के साथ ई-न्यूजलेटर प्रकाशित किये जाएंगे।

युवा स्वयंसेवकों का समर्थन
प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यक्रमों के संचालन और निगरानी के लिए नेटवर्क से जुड़े सरपंच युवा स्वयंसेवकों की मदद लेंगे। हर ग्राम पंचायत में सरपंचों की सहायता के लिए 2-3 युवा स्वयंसेवक होंगे। बस्तर जिले में पहले से ही ‘युवोदय’ कार्यक्रम के तहत 5,000 से अधिक युवा स्वयंसेवक कार्यरत हैं।

*1.5 लाख पीआरआई सदस्यों को शामिल करने के लिए किया जाएगा नेटवर्क का विस्तार *
यूनिसेफ विशेषज्ञ बाल परितोष दास का कहना है कि दूसरे चरण में, राज्य के 1.5 लाख ग्राम पंचायत सदस्यों (‘पंच’) को भी सीजी-पंच नेटवर्क के अंतर्गत क्षमता निर्माण के लिए शामिल क्या जाएगा ।
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान, श्री रेखचंद जैन, विधायक जगदलपुर, श्री राजमन बेंजम, विधायक चित्रकूट, श्रीमती बेदबती कश्यप, जिला परिषद अध्यक्ष बस्तर, सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी, सीईओ जिला पंचायत बस्तर, बाल परितोष, आईएसपी विशेषज्ञ, यूनिसेफ और अन्य उपस्थित थे।