रक्षा सचिव ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर 9वें मास्को सम्मेलन में कोविड-19 के विरुद्ध सक्रिय सहयोग का आह्वान किया

नई दिल्ली : रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने दिनांक 23 जून 2021 को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर 9वें मास्को सम्मेलन में ‘कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में सैन्य एजेंसियों की भूमिका’ विषय पर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में अपने संबोधन में कहा कि सक्रिय सहयोग, अनुसंधान साझेदारियां और एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाना कोविड-19 जैसी महामारियों से लड़ने का मार्ग है। कजाकिस्तान, मंगोलिया, जिम्बाब्वे, सूडान के रक्षा मंत्रियों और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के अवर महासचिव ने इस सत्र में भाग लिया।

यह देखते हुए कि कोविड-19 जैसी वैश्विक चुनौतियां देशों के बीच कोई भेद नहीं करती हैं, रक्षा सचिव ने भविष्य में ऐसी बीमारियों का विस्फोट रोकने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया के बुनियादी ढांचे और क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे सक्रिय टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करें और कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में इसके प्रसार के मुकाबले आगे चलें। “उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अधिक सटीकता के साथ महामारी के संक्रमण की भविष्यवाणी, डेटा विश्लेषण और कोविड निदान हेतु इस्तेमाल के लिए रखा जा सकता है।

भारत-रूस रक्षा संबंधों पर डॉ अजय कुमार ने दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को अभिन्न स्तंभ बताया। उन्होंने उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा मदों के सह-विकास और उत्पादन के लिए भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल होने की रूस की इच्छा का स्वागत किया। वह सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक के लिए इस वर्ष के अंत में रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु की भारत यात्रा के लिए उत्सुक थे।

महामारी से लड़ने में अन्य देशों को प्रदान भारत की सहायता पर प्रकाश डालते हुए रक्षा सचिव ने कहा, “भारत ने न केवल अपनी लड़ाई लड़ी, बल्कि भारत ने भी मित्र विदेशी राष्ट्रों को कोविड-19 का मुकाबला करने में मदद की और इसे जारी रखा।” उन्होंने आगे कहा कि महान चिकित्सा और आर्थिक तनाव के समय भी भारत ने वसुधैव कुटुंबकम के अपने प्राचीन विश्वास से प्रेरित होकर दूसरों का साथ दिया-‘ दुनिया एक परिवार है’।

ठीक उस समय जब महामारी की पहली लहर का प्रहार हुआ था, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के नेताओं से इस क्षेत्र में एक साथ कोविड-19 का मुकाबला करने का आह्वान किया।

रक्षा सचिव ने जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीमों की तैनाती करके मित्र राष्ट्रों को दिए गए भारत के साथ पर प्रकाश डाला। 150 देशों में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा आपूर्ति भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि 2020 के पूरे वसंत और गर्मियों के मौसम के दौरान भारत 120 से अधिक देशों के लिए उस समय की बुनियादी दवाओं पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का मुख्य आपूर्तिकर्ता था। ‘वंदे भारत’ मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स अभ्यास है, जिसमें भारत में फंसे 120 देशों के 120,000 से अधिक विदेशियों को निकालने सहित 7 मिलियन लोगों की हवा और समुद्र से आवाजाही को सुनिश्चित किया गया था, जब दुनिया की अधिकांश एयरलाइन्‍स बंद हो गई थीं।

डॉ अजय कुमार ने कहा कि आज भारत महामारी से जुड़ी सहायता के उद्योग के लिए सबसे बड़े ईको सिस्‍टम प्रणालियों में से एक है, जिसमें पीपीई किट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होना शामिल है। उन्होंने कहा कि महामारी ने चिकित्सा मांगों के क्षेत्र में नवाचारों को शुरू किया और उद्योग ने विभिन्न प्रकार की कोविड संबंधी दवाओं, टीकों, वेंटिलेटर, उपकरण, नैदानिक किट और अन्य आपूर्तियों का उत्पादन किया जिनको लगभग 150 देशों को भेजा गया है ।

रक्षा सचिव ने टीकाकरण को महामारी के प्रति देश की प्रतिक्रिया का मुख्य आधार बताते हुए टीकों और दवाओं को सभी के लिए प्रभावी और किफायती बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि आज की तारीख में भारत का अन्य देशों को वैक्सीन की 66 मिलियन डोज का योगदान किसी भी देश से सबसे बड़ा है। डॉ अजय कुमार ने रूस को कोविड-19 के खिलाफ एक फ्रंट रैंकिंग फाइटर बताया और उम्मीद जताई कि रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी भारत में महामारी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन जल्द शुरू होने की उम्मीद है। स्पूतनिक वी की कुल लगभग 900 मिलियन खुराकों का उत्पादन भारत में होने की उम्मीद है, जो इसके वैश्विक उत्पादन का 70% है।

रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों द्वारा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने और भारत और विदेशों में नागरिक प्राधिकरणों को सहायता प्रदान करने में किए गए प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए रक्षा सचिव ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और तीनों सेनाओं के साथ-साथ महानिदेशालय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजी एएफएमएस) के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का सबसे आशाजनक उपयोग किया जो कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने कुछ ही दिनों में कोविड देखभाल सुविधाओं की स्थापना की और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस पर ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन उत्पादन के लिए विकसित मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट तकनीक का उपयोग करते हुए 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की शुरुआत की।

सिविल अधिकारियों को सहायता प्रदान करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए डॉ अजय कुमार ने कहा कि पहली लहर के कुछ दिन के भीतर सेना ने आइसोलेशन की अनेक सुविधाएं स्थापित की और चिकित्सा आपूर्ति के परिवहन के लिए विशेष सैन्य गाड़ियां चलाईं। दूसरी लहर के दौरान किए गए प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारी संख्या में चिकित्सा आपूर्ति और टीमें भेजीं, जबकि 11 नौसैनिक जहाजों ने 1500 मीट्रिक टन से अधिक आपातकालीन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन का वहन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ने लगभग 1800 सॉर्टीज किए और देश और विदेश के भीतर से 15000 मीट्रिक टन आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति को लाने ले जाने का काम किया। रक्षा सचिव ने सेवानिवृत्त डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ सहित अतिरिक्त डॉक्टरों की तैनाती और सेवा कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों के लिए 24×7 अस्पतालों में सेवा क्षेत्र से जुड़े कार्मिक और नागरिक तैनात करने के लिए एएफएमएस की सराहना की।

रूसी संघ का रक्षा मंत्रालय दिनांक 22-24 जून, 2021 के बीच अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर 9वां मास्को सम्मेलन आयोजित कर रहा है। 2012 के बाद से सालाना आयोजित यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण सुरक्षा वार्ता होती है।