रायपुर, आजीविका के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण करने वाले छत्तीसगढ़ के तेरह लाख ग्रामीण – वनवासी परिवारों को राज्य सरकार के नये फैसलों के अनुरूप वर्ष 2016 से जुलाई 2018 तक (विगत लगभग दो वर्ष में) गर्मियों में हुए संग्रहण कार्य के लिए 883 करोड़ रूपए की मजदूरी दी जा चुकी है। संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में दी गई इस राशि के साथ उन्हें दिए गए प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) को मिलाकर इन परिवारों को विगत दो वर्ष में (वर्ष 2016 और 2017 में) लगभग एक हजार 246 करोड़ रूपए की अतिरिक्त आमदनी हुई है। उन्हें संग्रहण वर्ष 2017 के संग्रहण कार्य पर 747 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) दिया जाएगा, जिसका वितरण चालू माह अगस्त में जल्द शुरू करने की तैयारी तेजी से चल रही है।
वन मंत्री श्री महेश गागड़ा ने आज बताया कि इन 13 लाख संग्राहक परिवारों में लगभग 32 लाख सदस्य हैं, जिन्हें इसका लाभ मिला है। ग्रामीण-वनवासी परिवारों के ये 32 लाख सदस्य प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से तेन्दूपत्ता सहित साल बीज, इमली, हर्रा, चिरौंजी गुठली, लाख और महुआ बीज के भी संग्रहण और करोबार से जुड़े हुए हैं। उन्हें रमन सरकार के फैसलों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ मिल रहा है। राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ प्रदेश की 901 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों और 31 जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियनों का राज्य स्तरीय संघ है।
श्री गागड़ा ने बताया कि वर्ष 2016 में तेन्दूपत्ता संग्रहण की मजदूरी की राशि 1500 रूपए प्रति मानक बोरा थी, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरूप इस वर्ष बढ़ाकर ढाई हजार रूपए कर दिया गया है। इस प्रकार तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में रमन सरकार द्वारा दो साल के भीतर एक हजार रूपए की वृद्धि की गई। वन मंत्री श्री गागड़ा ने यह भी बताया कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण पारिश्रमिक के अलावा प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) भी दिया जा रहा है। संग्रहण वर्ष 2015 के बोनस का वितरण वर्ष 2016 में और वर्ष 2016 के बोनस का वितरण वर्ष 2017 में किया गया। इस अवधि के लिए तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 363 करोड़ रूपए का बोनस मिला।
श्री गागड़ा ने बताया कि पिछले वर्ष 2017 के तेन्दूपत्ता संग्रहण का अनुमानित 747 करोड़ रूपए का बोनस वितरण इस वर्ष 2018 में चालू माह अगस्त में जल्द शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के मेहनतकश तेन्दूपत्ता संग्राहकों की आर्थिक बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। संग्रहण कार्य शुरू होने के पहले वन क्षेत्रों में तेन्दूपत्ते के शाखकर्तन का भी काम होता है, जिसका पारिश्रमिक वर्ष 2016 में 40 रूपए प्रति मानक बोरा था, जिसे इस वर्ष 2018 में बढ़ाकर 52 रूपए कर दिया गया है। संग्रहण वर्ष 2016 में तेन्दूपत्ते की औसत विक्रय दर चार हजार 693 रूपए प्रति मानक बोरा थी, जो इस वर्ष 2018 में बढ़कर पांच हजार 656 रूपए हो गई।
वन मंत्री ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देशों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने समिति प्रबंधकों के मासिक पारिश्रमिक में ढाई हजार रूपए की वृद्धि की है। उन्हें वर्ष 2016 में दस हजार रूपए का मासिक पारिश्रमिक मिलता था। वर्ष 2018 में इसे बढ़ाकर बारह हजार 500 रूपए कर दिया गया है। श्री गागड़ा ने बताया कि चालू वर्ष 2018-19 में दस हजार 279 तेन्दूपत्ता फड़ मुंशियों को साइकिल भी दी जा चुकी है। पहली बार इन फड़ मुंशियों को तेन्दूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना में भी शामिल किया गया है।
श्री गागड़ा ने बताया कि रमन सरकार ने इस वर्ष एक मार्च 2018 से तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के मुखिया की बीमा पॉलिसी में परिवर्तन किया है। अब इन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में शामिल कर लिया गया है। इस योजना में संग्राहक परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर दो लाख रूपए और दुर्घटना जनित मृत्यु होने पर अतिरिक्त दो लाख रूपए की सहायता दिवंगत के परिवार को देने का प्रावधान किया है। इसी कड़ी में प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधकों की बीमा राशि में 75 हजार रूपए की वृद्धि की गई है। वर्ष 2016 में उनके लिए 25 हजार रूपए के बीमे का प्रावधान था, जिसे इस वर्ष 2018 में बढ़ाकर एक लाख रूपए कर दिया गया है।
श्री गागड़ा ने बताया कि चरणपादुका योजना के तहत दो वर्ष (2016 और 2017) में तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को 36 लाख 43 हजार जोड़ी चरणपादुकाएं दी जा चुकी हैं। चालू वर्ष 2018 में अगस्त माह से पुरूष संग्राहकों को लगभग 12 लाख चरण पादुकाओं का वितरण किया जा रहा है।, 17 अगस्त 2018/ आजीविका के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण करने वाले छत्तीसगढ़ के तेरह लाख ग्रामीण – वनवासी परिवारों को राज्य सरकार के नये फैसलों के अनुरूप वर्ष 2016 से जुलाई 2018 तक (विगत लगभग दो वर्ष में) गर्मियों में हुए संग्रहण कार्य के लिए 883 करोड़ रूपए की मजदूरी दी जा चुकी है। संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में दी गई इस राशि के साथ उन्हें दिए गए प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) को मिलाकर इन परिवारों को विगत दो वर्ष में (वर्ष 2016 और 2017 में) लगभग एक हजार 246 करोड़ रूपए की अतिरिक्त आमदनी हुई है। उन्हें संग्रहण वर्ष 2017 के संग्रहण कार्य पर 747 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) दिया जाएगा, जिसका वितरण चालू माह अगस्त में जल्द शुरू करने की तैयारी तेजी से चल रही है।
वन मंत्री श्री महेश गागड़ा ने आज बताया कि इन 13 लाख संग्राहक परिवारों में लगभग 32 लाख सदस्य हैं, जिन्हें इसका लाभ मिला है। ग्रामीण-वनवासी परिवारों के ये 32 लाख सदस्य प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से तेन्दूपत्ता सहित साल बीज, इमली, हर्रा, चिरौंजी गुठली, लाख और महुआ बीज के भी संग्रहण और करोबार से जुड़े हुए हैं। उन्हें रमन सरकार के फैसलों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ मिल रहा है। राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ प्रदेश की 901 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों और 31 जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियनों का राज्य स्तरीय संघ है।
श्री गागड़ा ने बताया कि वर्ष 2016 में तेन्दूपत्ता संग्रहण की मजदूरी की राशि 1500 रूपए प्रति मानक बोरा थी, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरूप इस वर्ष बढ़ाकर ढाई हजार रूपए कर दिया गया है। इस प्रकार तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में रमन सरकार द्वारा दो साल के भीतर एक हजार रूपए की वृद्धि की गई। वन मंत्री श्री गागड़ा ने यह भी बताया कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण पारिश्रमिक के अलावा प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) भी दिया जा रहा है। संग्रहण वर्ष 2015 के बोनस का वितरण वर्ष 2016 में और वर्ष 2016 के बोनस का वितरण वर्ष 2017 में किया गया। इस अवधि के लिए तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 363 करोड़ रूपए का बोनस मिला।
श्री गागड़ा ने बताया कि पिछले वर्ष 2017 के तेन्दूपत्ता संग्रहण का अनुमानित 747 करोड़ रूपए का बोनस वितरण इस वर्ष 2018 में चालू माह अगस्त में जल्द शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के मेहनतकश तेन्दूपत्ता संग्राहकों की आर्थिक बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। संग्रहण कार्य शुरू होने के पहले वन क्षेत्रों में तेन्दूपत्ते के शाखकर्तन का भी काम होता है, जिसका पारिश्रमिक वर्ष 2016 में 40 रूपए प्रति मानक बोरा था, जिसे इस वर्ष 2018 में बढ़ाकर 52 रूपए कर दिया गया है। संग्रहण वर्ष 2016 में तेन्दूपत्ते की औसत विक्रय दर चार हजार 693 रूपए प्रति मानक बोरा थी, जो इस वर्ष 2018 में बढ़कर पांच हजार 656 रूपए हो गई।
वन मंत्री ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देशों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने समिति प्रबंधकों के मासिक पारिश्रमिक में ढाई हजार रूपए की वृद्धि की है। उन्हें वर्ष 2016 में दस हजार रूपए का मासिक पारिश्रमिक मिलता था। वर्ष 2018 में इसे बढ़ाकर बारह हजार 500 रूपए कर दिया गया है। श्री गागड़ा ने बताया कि चालू वर्ष 2018-19 में दस हजार 279 तेन्दूपत्ता फड़ मुंशियों को साइकिल भी दी जा चुकी है। पहली बार इन फड़ मुंशियों को तेन्दूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना में भी शामिल किया गया है।
श्री गागड़ा ने बताया कि रमन सरकार ने इस वर्ष एक मार्च 2018 से तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के मुखिया की बीमा पॉलिसी में परिवर्तन किया है। अब इन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में शामिल कर लिया गया है। इस योजना में संग्राहक परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर दो लाख रूपए और दुर्घटना जनित मृत्यु होने पर अतिरिक्त दो लाख रूपए की सहायता दिवंगत के परिवार को देने का प्रावधान किया है। इसी कड़ी में प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधकों की बीमा राशि में 75 हजार रूपए की वृद्धि की गई है। वर्ष 2016 में उनके लिए 25 हजार रूपए के बीमे का प्रावधान था, जिसे इस वर्ष 2018 में बढ़ाकर एक लाख रूपए कर दिया गया है।
श्री गागड़ा ने बताया कि चरणपादुका योजना के तहत दो वर्ष (2016 और 2017) में तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को 36 लाख 43 हजार जोड़ी चरणपादुकाएं दी जा चुकी हैं। चालू वर्ष 2018 में अगस्त माह से पुरूष संग्राहकों को लगभग 12 लाख चरण पादुकाओं का वितरण किया जा रहा है।