रेशम कीट पालन के साथ धागा निकालने का हुनर सीखकर आगे बढ़ेंगी समूह की महिलाएं
बैकुण्ठपुर । कोरिया जिले में वनांचल क्षेत्र की बहुतायत और इससे प्रत्येक ग्रामीण परिवार के जुड़ाव के कारण रेषम कीट पालन एक बेहतर आजीविका संसाधन बन सकता है। कलेक्टर कोरिया श्री ष्याम धावड़े के निर्देषानुसार इसी उद्देष्य को लेकर सामान्य रूप से कीट पालन करने वाले ग्रामीण महिलाओं के समूह को ककून से कोसा का धागा निकालने का हुनर सिखाया जा रहा है। रेषम विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण आजीविका मिषन के साथ मिलकर ग्राम पंचायत बंजारीडांड में अलग-अलग 15 स्व सहायता समूह की कुल 35 महिलाओं को रेषम कीट से कोसा निकालने का तकनीकी प्रषिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रषिक्षण के बारे में जानकारी देते हुए जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्री कुणाल दुदावत ने बताया कि कलेक्टर श्री ष्याम धावड़े के स्पष्ट निर्देष हैं कि स्व सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला की मासिक आय कम से कम सात से आठ हजार रूपए हो। इसके अनुरूप प्रत्येक ग्रामीण परिवार की महिलाओं को एक बेहतर सामाजिक स्थिति में लाने के लिए उन्हे किसी न किसी स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। आगामी समय मे जिले के बैकुण्ठपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत मनसुख से लेकर खड़गंवा के ग्राम पंचायत बंजारीडांड तक की महिलाओं के स्व सहायता समूह इस कार्य को व्यवसायिक ढंग से करके अपने लिए एक बेहतर आजीविका का साधन पा सकेंगे। इसी अनुक्रम में ग्राम पंचायत बंजारीडांड़ के वनधन विकास केंद्र में दस दिवसीय प्रषिक्षण षिविर आयोजित किया जा रहा है।
जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्री दुदावत ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन बिहान से जिले में अब तक 60 हजार से ज्यादा महिलाओं को समूह के माध्यम से संगठित किया गया है। अब तक उनमें से 40 हजार से ज्यादा महिलांए किसी न किसी आजीविका गतिविधि से जुड़कर स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रही हैं। कलेक्टर कोरिया के निर्देषानुसार वनांचल क्षेत्र में रेषम कीट पालन को व्यवसायिक स्तर पर लाने का कार्य किया जा रहा है। इसी तारतम्य में ग्राम पंचायत मनसुख से लेकर ग्राम पंचायत बंजारीडांड़ तक के कुल 15 समूह की महिलाओं को रेषम धागा निकालने का तकनीकी प्रषिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस प्रषिक्षण में भाग ले रहे समूह की महिलाओं में से 29 महिलाएं अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं।
जिला पंचायत सीइओ ने बताया कि 27 अगस्त से प्रारंभ होकर यह प्रषिक्षण आगामी 4 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान महिलाओं को कीट पालन से लेकर उनके ककून से धागा निकालने की तकनीकी जानकारी प्रायोगिक तौर पर बताई जाएगी। इस प्रषिक्षण से 15 समूहों में संलग्न कुल 162 महिलाआें को रेषम कीट पालन के बाद धागा निकालने की प्रक्रिया से जोड़ा जा सकेगा। प्रषिक्षण प्राप्त कर रही समूह की महिलाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि इस प्रषिक्षण में भाग ले रहे समूह में से आदिवासी महिलाओं के कुल 12 समूह के सदस्य षामिल हैं। बंजारीडांड़ के वनधन विकास केंद्र में प्रषिक्षण ले रहे समूहों में कृष्णा स्व सहायता समूह के साथ कमला स्व सहायता समूह, चंदन स्व सहायता समूह, बंजारी स्व सहायता समूह, पूर्णिमा स्व सहायता समूह, चेतना स्व सहायता समूह, मां षक्ति स्व सहायता समूह, मां सरस्वती स्व सहायता समूह, खुषबू स्व सहायता समूह, पलक स्व सहायता समूह,सखी स्व सहायता समूह, रिमझिम स्व सहायता समूह, प्रगति स्व सहायता समूहएवं साक्षर स्व सहायता समूह की महिलाएं षामिल हैं। उक्त दस दिवसीय प्रषिक्षण राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन बिहान व रेषम विभाग के समन्वय से कराया जा रहा है।