नई दिल्ली : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने इस मामले की सुनवाई कर रही जजों की समिति पर सवाल खड़े किए हैं. महिला ने समिति पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. साथ ही महिला ने अब समिति के सामने पेश नहीं होने का फैसला किया है.
महिला का आरोप है कि समिति द्वारा मुझसे बार-बार पूछा गया कि यौन उत्पीड़न की शिकायत मैंने क्यों देर से की. महिला ने कहा कि तीन जजों की समिति द्वारा पूछताछ से मैं घबरा गई थी. वहां अजीब माहौल था. मेरे वकील भी साथ में नहीं थे. महिला का आरोप है कि कोर्ट से निकलने के बाद चार बाइक सवारों ने उनका पीछा भी किया था. इसके अलावा महिला ने कहा कि उसे 26 और 29 अप्रैल को दर्ज किए गए बयानों की प्रति भी नहीं दी गई है.
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित तीन जजों की आंतरिक जांच समिति से जस्टिस एनवी रमण ने खुद को अलग कर लिया था. दरअसल, आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने इस समिति में जस्टिस एनवी रमण को शामिल किए जाने पर ऐतराज जताया था. महिला का कहना था कि जस्टिस रमण प्रधान जस्टिस गोगोई के करीबी दोस्त हैं और उनके घर पर अक्सर उनका आना-जाना रहता है.
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर जांच पैनल की सुनवाई जारी है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के इन हाउस पैनल ने चीफ जस्टिस पर आरोप लगाने वाली महिला से सवाल-जवाब किए थे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के सामने महिला ने अपना बयान दिया था.
(साभार : आज तक )