रायपुर – छत्तीसगढ़ी फिल्म से जुड़े कलाकारों, निर्माता, निर्देशकों और अन्य तकनीकी कलाकारों का एक दल 5 को संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू से उनके निवास पर मिला। जिसमें प्रमुख रूप से मोहन सुंदरानी, प्रेम चंद्राकर, प्रकाश अवस्थी, रॉकी दासवानी, नैनी तिवारी, चंद्रशेखर चौहान, उपासना वैष्णव, मनीष झा, पवन कुमार गुप्ता, जेठू साव, विवेक सारवा, महावीर सिंह चौहान आदि उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत के प्रतिनिधि मंडल ने संस्कृति मंत्री के सम्मुख अपनी मांग और समस्याएं रखी, जिसमें प्रमुख रूप से मल्टीप्लैक्स में छत्तीसगढ़ी फिल्मों का प्रदर्शन न होना और मल्टीप्लैक्स मालिकों से सहयोग प्राप्त न होना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एकल सिनेमाघरों की संख्या बहुंत कम है और दिन प्रतिदिन कम हो रही है। ऐसे समय में मल्टीप्लैक्स मालिकों की ओर से छत्तीसगढ़ी फिल्मों को यह कह कर स्क्रीन नहीें दिया जाना कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों के दर्शक मल्टीप्लैक्स में फिल्म देखने के काबिल नहीं है। वे मल्टीप्लैक्स के मंहगे टिकट और पॉपकॉर्न आदि नहीं खरीद सकते, यह कहकर वे छत्तीसगढ़ी फिल्मों को मल्टीप्लैक्स में स्थान नहीं देतेे। यह बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है । साथ ही प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि फिल्म विकास निगम की स्थापना तो राज्य में हो चुकी है, लेकिन पिछले 15 वर्षों से उस पर कुछ काम नहीं हो पाया है । हम चाहते हैं कि दूसरे राज्यों के सिनेमा जैसे मराठी सिनेमा, भोजपुरी सिनेमा की भांति छत्तीसगढ़ी फिल्मों को भी व्यापक प्रचार-प्रसार और सुविधाएं उपलब्ध हो। उन्होंने मांग की कि मल्टीप्लैक्सों की पहुंच केवल छत्तीसगढ़ के कुछ ही शहरों में है ।
इसलिए छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवकों के लिए छोटे शहरों में भी एकल सिनेमा के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। टूरिंग टॉकीज के लिए भी नियमों में सरलता लानी चाहिए साथ ही छत्तीसगढ़ी सिनेमा को कर से भी पूर्णत: छूट देना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों तक छत्तीसगढ़ी सिनेमा की पहुंच हो सके और छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो सके।
संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रतिनिधी मंडल के सदस्यों से उनके समस्याओं के संबंध में कहा कि पहले मल्टीप्लैक्स संचालकों के पक्ष को भी सुना जाएगा इसके बाद ही इस समस्या का कुछ समाधान किया जा सकता है । छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति धार्मिक न्यास, धर्मस्व को प्रोत्साहन देने, आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है । छत्तीसगढ़ के लोगों को छत्तीसगढ़ में मान सम्मान मिलना ही चाहिए । यह उनका मौलिक अधिकार है। साथ ही मंत्री ने सभी छत्तीसगढ़ वासियों से अपने दैनिक जीवन में छत्तीसगढ़ी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करने का आग्रह किया ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा का व्यापक प्रचार प्रसार हो सके।