बैकुंठपुर: जिला कोरिया के अंतर्गत आने वाले बैकुंठपुर वन मंडल मे एक अधिकारी है जिनका तबादला पिछले 18 से 19 साल मे नहीं हुआ है सेटिंग करने मे माहिर ये महोदय अंगद के पैर क़ी तरह जमे हुए है सारे नियमों को ताक पर रख कर पिछले दो दशक से एक ही स्थान पर पदस्थ है
जबकि हर साल प्रमोशन जरूर मिलता है. अब इसे लेकर लोगों में चर्चाएं भी होती है और कहा जाता है कि, वन विभाग में एक ही बात प्रसिद्ध है साहब की विभाग में खूब चलती है. उनसे पूछे बिना पूरा वन विभाग भी नहीं चलता. वन विभाग बैकुंठपुर के वर्तमान में रेंजर से डीएफओ पद पर पदस्थ हुए अखिलेश मिश्रा जिले में पिछले 19 साल से जमे हुए हैं. फारेस्टर से 10 साल तक रेंजर और अब एसडीओ से नेशनल पार्क के अस्सिटेंट डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है.
वहीं, एसडीओ भले ही कोरिया वन मंडल के हैं. लेकिन इनका प्रभाव रायपुर तक है. यह खुद वन विभाग के बड़े अधिकारी भी कहे जाते हैं और कई बड़े अधिकारी भी साहब से ही जुड़कर रहना पसंद करते हैं. इसके साथ ही उनके ही अनुभवों से कुछ लाभ कमाने की कोशिश करते हैं. कोरिया जिले से लगे सूरजपुर जिले में भी वन विभाग में पर्याप्त हस्तक्षेप है. लोग बताते हैं कि एसडीओ सूरजपुर जिले के ओड़गी क्षेत्र के वन विभाग के कार्यों में खुलकर हस्तक्षेप करते हैं.
वन विभाग के कुबेर से पहचाने जाते हैं एसडीओ मिश्रा
जानकार सूत्रों के मुताबिक वन विभाग मे पदस्थ साहब के द्वारा खरीदी गई सम्पत्तियों की लंबी फेहरिस्त है. चल अचल सम्पत्तियों के साथ ही नकद सम्पत्तियों के यह कुबेर माने जाते हैं. इनके द्वारा स्वयं और अपने परिजनों के नाम खरीदी गई सम्पत्तियों के लिए विभागीय अनुमति भी इनके पास है. वन विभाग के इन साहब के रिश्तेदार भी आज करोड़पति बन चुके हैं, लेकिन साहब के विरुद्ध जांच को कोई तैयार नहीं.
आयकर विभाग और सतर्कता विभाग भी है मौन
आपको बता दे क़ी दाम कराये काम क़ी तर्ज पर ही अखिलेश मिश्रा शासन के सभी नियमों क़ी तिलांजलि दे चुके है और आर्थिक निगरानी सहित अर्थ अर्जन को लेकर सतर्क रहने वाले विभागों में भी एसडीओ की पकड़ गजब की है. दोनों विभाग भी इनके सामने मजबूर हैं. साहब की संपत्तियों की न तो जांच होती है और ना ही कार्रवाई ही. जिले में जमीन कहीं भी जिस दाम पर मिल रही हो उससे अधिक दाम वह भी कई गुना ज्यादा दाम देकर जमीन खरीदने को लेकर इनकी खासी ख्याति है. जिले में इनकी जमीन संबंधी संपत्ति में लगातार इजाफा हुआ है जो जग जाहिर भी है. कई बार कई मामलों में इनकी गलती सामने लाने पर भी उच्चाधिकारी मौन रहते हैं जबकि जिले में वन विभाग के अधिकांश काम निर्माण के यही स्वयं करते हैं. शासन यदि इसकी सूक्ष्ममता से जांज करें तो भ्रष्टाचार मे लिप्त अधिकारियो मे शासन का भय कायम होगा नहीं तो इसी तरह बिना अंकुश के ही भ्रष्टाचार और दिन ब दिन बढ़ेगा