पुलिस के अनुसार, 27 जुलाई को बिठूर थानाक्षेत्र में रहने वाली महिला की 3 साल की बेटी अपनी नानी के साथ मवेशी चराने खेत गई थी। इस दौरान पड़ोसी खेत मालिक हुकुम राजपूत का साला राधेश्याम बहलाकर बच्ची को खेत में बनी कोठरी में ले गया। शाम करीब 6 बजे नानी ने बच्ची की चीख सुनी तो कोठरी की ओर भागी। वहां राधेश्याम बच्ची से रेप कर कर रहा था। उन्हें देख वह भाग गया। परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
मौके पर पहुंची बिठूर थाने की पुलिस ने राधेश्याम को सबूत मिटाने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया। पॉक्सो और अन्य दफाओं में रिपोर्ट लिख आरोपी को जेल भेज दिया गया। राधेश्याम की हाफ पैंट से पुलिस को खून के निशान मिले। इसे डीएनए परीक्षण के लिए लखनऊ की फरेंसिक साइंस लैब भेजा गया। 17 सितंबर को पुलिस ने स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया। केस में 12 लोगों की गवाही हुई।
अहम बात यह रही कि पीड़ित बच्ची ने अपनी नानी की गोद में दरोगा को इशारा कर बताया था कि चोट प्राइवेट पार्ट में लगी है। गुरुवार को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज विजय राज सिसौदिया ने दोषी राधेश्याम को उम्रकैद और 1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की आधी रकम पीड़ित बच्ची को बतौर क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
केस से जुड़े अधिकारी भी थे विचलित
केस के जांच अधिकारी कल्याणपुर के सीओ अजय कुमार के अनुसार, बच्ची से रेप की वारदात ने हर किसी को झकझोर दिया था। सजा के लिए सबसे अहम जरूरत डीएनए टेस्ट था। इसके लिए राधेश्याम की हाफ पैंट पर लगे खून के धब्बे का परीक्षण जरूरी था। कोर्ट से अनुमति ले ली गई थी, लेकिन लखनऊ लैब से रिपोर्ट आने में दो साल तक लगे जाते हैं। अधिकारियों के प्रयासों और वैज्ञानिकों से निजी निवेदन के कारण जांच जल्दी हुई और बीते सोमवार को रिपोर्ट आ गई। इसमें साबित हुआ कि खून बच्ची का था। यह रिपोर्ट केस में अकाट्य प्रमाण साबित हुई। लखनऊ में खराब मौसम के कारण रिपोर्ट आने में 5 दिन ज्यादा लगे। कल्चर रिपोर्ट के लिए वैज्ञानिक 5 दिन तक धूप निकलने का इंतजार कर रहे थे।
Source: Uttarpradesh